ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली के बेलगाम स्कूल वालों पर नकेल कसना साधारण श्रेणी का कार्य नहीं है. स्कूल मैनेजमेंट पर सख्ती के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए सवाल उस पर है. आप मोटेतौर पर देखेंगे तो पाएंगे कि स्कूलों की व्यवस्था को ठीक रखने के लिए नियम-कानून तो पहले से ही पर्याप्त थे, बावजूद इसके सीमित 355...
40 की उम्र में गाड़ी ली, 55 में छीन ली!
दिल्ली की सत्ता बदली, व्यवस्था बदलने की आस जगी. लेकिन जैसे-जैसे नई सरकार कदम आगे बढ़ा रही है, लगने लगा है सरकार अपनी सोच और संवेदना की बजाए ब्यूरोक्रेसी के बहकावे में आगे बढ़ रही है. दिल्ली की वो ब्यूरोक्रेसी जो पिछले 10 सालों...
#AAP ने तो दिल्ली की पहचान बदल दी!
‘दिल वालों की है दिल्ली’..दस साल पहले दिल्ली वालों की पहचान की पंच लाइन यही हुआ करती थी. लेकिन अब..‘कटोरा वालों की दिल्ली’ हो गई. इसे बारीकी से समझना होगा. समझना होगा..कैसे जब राजनीति बदलती है तो बहुत कुछ बदल जाता है.
दिल्ली...
गांवों में एक कहावत है – एक पाव दूध की जरूरत थी, गाय क्यों खरीद लिए!
दिल्ली की राजनीति को इस कहावत के जरिए थोड़ा आसानी से समझा जा सकता है. दिल्ली वालों की जरूरत एक पाव दूध की है. मतलब महज छोटी-छोटी जरूरतें. जिसे कांग्रेस, बीजेपी जैसे स्थापित राजनीतिक दल समझ ही नहीं...
#BJP की चुनावी मशीनरी उलझी!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी मंच सजा है. मंच पर दिल्ली बीजेपी के बड़े-बड़े नेता बैठे हैं. मोदी जी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा से भरने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. लेकिन मंच पर बैठे नेताओं के चेहरे पर उलझन साफ झलकती है. फिर एक बार...
‘रेवड़ियां’ और दिल्ली की आर्थिक सेहत
चुनावी पिच पर लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी ने अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. खुद पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव जीतने के बाद दिल्ली की हर महिला को 2100 रुपये देंगे. महिला इनकम टैक्स नहीं भरती हो, कम से कम 18...
राजनीतिक पार्टियों से मांग-2
चुनाव के चरम काल में इस बात की चर्चा ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए. ये हाई टाइम होता है जब आप अपनी बात नेताओं तक पहुंचा सकते हैं. समाज के मध्यम वर्ग का दायरा बहुत बड़ा होता है. तरह-तरह के काम करने वाले लोगों की समस्याएं भी अलग-अलग होती है....
राजनीतिक पार्टियों से मांग
दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाने लगा है. राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने घोषणापत्र पर काम शुरू कर दिया है. मुद्दें तलाशे जा रहे हैं. जनसंपर्क जोर पकड़ने लगा है. ये सही वक्त है जब दिल्ली का मध्यम वर्ग अपनी मांगों को आगे रखना शुरू करे. दिल्ली में एक मिडिल क्लास...
दिल्ली पुलिस के सिपाही किरण पाल की मौत एक अलार्म की तरह है जो व्यवस्था संभालने वालों को सावधान कर रही है..संभल जाएं नहीं तो और भी बुरे दिन आने वाले हैं! साफ दिखता है दिल्ली पुलिस की कार्यशैली कितनी भ्रष्ट हो चुकी है. अपराधियों पर अंकुश लगाने का मैकेनिज्म कब का खत्म हो चुका है. उपर...
सब कुछ जनता पर थोपने की प्रवृत्ति
दिल्ली की मौजूदा व्यवस्था पर गौर करें तो आप पाएंगे कि जनता पर नियम कानूनों का बोझ बढ़ता जा रहा है. आए दिन कोई न कोई नया फरमान आ ही जाता है. कानूनों के नियमन के मामले में सरकारी संस्थाएं ऐसे पेश आती हैं मानों जनता नकारा...