आवाज उठाने की सजा – ‘दरबान’ बनो

परिवहन विभाग के अफसरों की ‘तानाशाही’

हम से सवाल पूछोगे..हमारी कार्यशैली को गलत बताओगे..दिल्ली के मुख्यमंत्री को तो हमने बख्शा नहीं..तुम्हारी क्या बिसात..हम बड़े अफसर हैं..हो तो तुम चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही..हम जो चाहे वो करेंगे..हम जो चाहे तुमसे वो करवाएंगे..तुमने ऐसा सोच कैसे लिया..सही या गलत..तुम हमारा आदेश मानने से इंकार कर दोगे..तुम्हारी इतनी हिम्मत..तुम्हें क्या लगता है..तुम्हारी कोई सुन लेगा..मीडिया हमारा क्या बिगाड़ लेगा..!!

कुछ ऐसे ही विचार दिल्ली परिवहन विभाग के कर्ता-धर्ता..सीनियर अधिकारियों के दिलो-दिमाग में हावी हुआ होगा..जब उन्होंने हेड कॉन्स्टेबल हरिंदर सिंह के खिलाफ एक्शन लिया होगा। अधिकारियों ने हरिंदर सिंह को गाड़ियां उठाने के काम से हटा कर..अपमानित करने के लिए सीधे विभाग की बिल्डिंग मुख्य गेट पर तैनात कर दिया। इतने समय के बाद भी पदोन्नति दी नहीं..मर्जी से सम्मान दे रहे थे..अब मूड बिगड़ा तो अपमान करने पर उतारू हैं। ये वही हरिंदर सिंह हैं जो लगातार दिल्ली परिवहन विभाग के स्पेशल कमिश्नर शहजाद आलम की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे थे। उनके भ्रष्ट और तानाशाही तरीके से काम करने को लेकर लगातार कमिश्नर आशीष कुंद्रा से लिखित में शिकायत कर रहे..परिवहन विभाग गलत तरीके से दिल्ली में पुरानी गाड़ियां उठा रहा है..चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पास चालान करने का कानूनी अधिकार नहीं होने के बावजूद..जबरन उन्हें इस काम में धकेला जा रहा है..इसमें बड़े लेवल पर भ्रष्टाचार का खेल हो रहा है..लोगों को डरा-धमका कर पैसे वसूले जा रहे हैं..दिल्ली में पुरानी गाड़ियों को उठाने के दौरान कई तरह की अनियमितता की शिकायत हेड कॉस्टेबल हरिंदर करते रहे। पुरानी गाड़ियों के प्राइवेट स्क्रैपर्स से हाई लेवल की सेटिंग की बात भी हरिंदर सिंह बताते हैं।

अपनी जिंदगी का लंबा वक्त विभाग में बिता चुके हरिंदर सिंह के लिए ये सब बिल्कुल नया सा है। उन्हें ये सब राजनीति से प्रेरित लगता है। उन्होंने कई पत्र सीनियर अधिकारियों, संबंधित विभागों को लिखा। उनकी एक भी लिखित शिकायत पर बड़े अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की। यहां तक कि जो कुछ भी सवाल उन्होंने आरटीआई के तहत विभाग से पूछे उसका भी जवाब नहीं दिया गया। आखिरकार हरिंदर सिंह को भ्रष्टाचार, विभागीय अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिल ही गई। हरिंदर सिंह बड़े ही दुखी मन से बताते हैं..उन्हें गेट पर तैनात कर दिया।