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गांवों में एक कहावत है – एक पाव दूध की जरूरत थी, गाय क्यों खरीद लिए!
दिल्ली की राजनीति को इस कहावत के जरिए थोड़ा आसानी से समझा जा सकता है. दिल्ली वालों की जरूरत एक पाव दूध की है. मतलब महज छोटी-छोटी जरूरतें. जिसे कांग्रेस, बीजेपी जैसे स्थापित राजनीतिक दल समझ ही नहीं...
#BJP की चुनावी मशीनरी उलझी!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी मंच सजा है. मंच पर दिल्ली बीजेपी के बड़े-बड़े नेता बैठे हैं. मोदी जी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा से भरने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. लेकिन मंच पर बैठे नेताओं के चेहरे पर उलझन साफ झलकती है. फिर एक बार...
‘रेवड़ियां’ और दिल्ली की आर्थिक सेहत
चुनावी पिच पर लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी ने अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. खुद पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव जीतने के बाद दिल्ली की हर महिला को 2100 रुपये देंगे. महिला इनकम टैक्स नहीं भरती हो, कम से कम 18...
राजनीतिक पार्टियों से मांग-2
चुनाव के चरम काल में इस बात की चर्चा ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए. ये हाई टाइम होता है जब आप अपनी बात नेताओं तक पहुंचा सकते हैं. समाज के मध्यम वर्ग का दायरा बहुत बड़ा होता है. तरह-तरह के काम करने वाले लोगों की समस्याएं भी अलग-अलग होती है....
राजनीतिक पार्टियों से मांग
दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाने लगा है. राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने घोषणापत्र पर काम शुरू कर दिया है. मुद्दें तलाशे जा रहे हैं. जनसंपर्क जोर पकड़ने लगा है. ये सही वक्त है जब दिल्ली का मध्यम वर्ग अपनी मांगों को आगे रखना शुरू करे. दिल्ली में एक मिडिल क्लास...
दिल्ली पुलिस के सिपाही किरण पाल की मौत एक अलार्म की तरह है जो व्यवस्था संभालने वालों को सावधान कर रही है..संभल जाएं नहीं तो और भी बुरे दिन आने वाले हैं! साफ दिखता है दिल्ली पुलिस की कार्यशैली कितनी भ्रष्ट हो चुकी है. अपराधियों पर अंकुश लगाने का मैकेनिज्म कब का खत्म हो चुका है. उपर...
सब कुछ जनता पर थोपने की प्रवृत्ति
दिल्ली की मौजूदा व्यवस्था पर गौर करें तो आप पाएंगे कि जनता पर नियम कानूनों का बोझ बढ़ता जा रहा है. आए दिन कोई न कोई नया फरमान आ ही जाता है. कानूनों के नियमन के मामले में सरकारी संस्थाएं ऐसे पेश आती हैं मानों जनता नकारा...
कानून व्यवस्था पर कड़ा संदेश क्यों नहीं?
दिल्ली की बिगड़ती कानून-व्यवस्था मध्यम वर्ग की सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही है. बहुत ज्यादा नहीं..15-20 साल पहले आप कल्पना नहीं कर सकते थे कि यहां मुंबई वाले हालात बन जाएंगे. गुंडे और गैंगस्टर यहां के कारोबारियों से हफ्ता वसूली करेंगे. पहले थोड़ी बहुत बदमाशी दिल्ली...
दिल्ली विधानसभा के चुनाव में करीब 100 दिनों का वक्त बचा है. मैं चाहता हूं कि इन सौ दिनों में मध्यम वर्ग के कुछ बड़े मुद्दों को सामने लाया जाए. पिछले कुछ सालों में दिल्ली की राजनीति में मध्यम वर्ग के मुद्दे गौण हो गए हैं. आप गौर करेंगे तो पाएंगे आज मध्यम वर्ग की जरूरतों पर...
नई सीएम आतिशी जब दिल्ली की सड़कों पर ग़ड्ढे की तलाश में उतरी तो ऐसा लगा मानों आम आदमी पार्टी को फिर अपनी सियासी जमीन तलाशने के लिए सड़कों पर उतरना पर रहा है. जो पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कुछ खिसकती सी लग रही थी. क्योंकि दिल्ली की सड़कों पर...