ED-CBI ने दिल्ली की सियासत सुलगाई

पिछले दो दिनों से दिल्ली में हर तरफ बस ईडी सीबीआई की ही चर्चा है। शराब नीति घोटाले की वजह से सुलगी हुई सियासी आग को ईडी-सीबीआई ने और भड़का दिया है। दिल्ली के सियासी तापमान को कई गुणा बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर बात हो रही है। दिल्ली के सड़कों पर बस इसी का शोर है। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। जो सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी पर गरमाए हुए हैं। जो अपने चहते नेताओं के साथ हो रही ज्यादती का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई दबाव बनाए हुए है। आप के बड़े नेताओं पर जारी ईडी-सीबीआई की कार्रवाई को जायज ठहराने में पूरी बीजेपी जुटी है। मनीष सिसोदिया, संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब बीजेपी अरविंद केजरीवाल को लेकर माहौल बना रही है। बीजेपी के तमाम बड़े नेता एक सुर में बोलने लगे हैं कि जेल जाने वालों में अगला नंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री का होगा।

दिल्ली का मौसम बदल रहा है। धीरे-धीरे ठंड के करीब आने का एहसास होने लगा है। वहीं ईडी-सीबीआई ने एक ही झटके में दिल्ली का सियासी मौसम बदल दिया। दिल्ली में सियासी गर्मी अचानक से बढ़ गई, 2024 के लोकसभा चुनाव के करीब होने का एहसास अचानक से बढ़ गया। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से ख़बर आई आप सांसद संजय सिंह पर ईडी के एक्शन पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने संजय सिंह को 5 दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट से जानकारी मिली, मनीष सिसोदिया की जमानत पर अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

दोनों ही अदालतों में शराब नीति घोटाले को लेकर बहस चली। ईडी ने अपना पक्ष रखा। दिल्ली के दोनों ही दिग्गज नेताओं ने अपना पक्ष रखा। बहस के दौरान जो बात हुई उस पर दिल्ली ही नहीं पूरे देश की नजर है। मोटे तौर पर देखा जाए तो यही लगता है कि ईडी की तैयारी कमजोर है। दोनों ही नेताओं के खिलाफ ईडी कोई ठोस जानकारी कोर्ट के सामने नहीं रख पा रही है। आने वाले दिनों में कोई बड़ी पेशकश ईडी की तरफ से हो जाए तो बात अलग है लेकिन अभी तो यही लगता है कि बस गवाहों के बयान को आधार बना कर बड़े नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे रखने की तैयारी है।

संजय सिंह के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से पूछा कि जब संजय सिंह के खिलाफ आपके पास पुख्ता सबूत थे तो फिर गिरफ्तारी में इतना वक्त क्यों लगा? पैसों की जिन लेनदेने की बात ईडी कर रही है वो भी काफी पुराना है। उस आधार पर पहले एक्शन होना चाहिए था। जब ईडी ने संजय सिंह की 10 दिन की कस्टडी मांगी तो कोर्ट का कहना था..संजय सिंह का फोन आपके पास जब्त है ऐसे में कस्टडी की क्या जरूरत? इस पर ईडी की तरफ से कहा गया..इस मामले में बयान अभी दर्ज हुए हैं। दिनेश अरोड़ा के कर्मचारी ने बताया है कि उसने 2 करोड़ रुपए संजय सिंह के घर दिए, इसके अलावा एक करोड़ रुपए इंडो स्प्रिट के ऑफिस से लेकर संजय सिंह को दिया गया। 4 अक्टूबर की पड़ताल में डिजिटल एविडेंस मिला है। जिसे लेकर कन्फ्रंट करना है यानी सभी को आमने सामने बिठाकर पूछताछ करनी है। इसलिए संजय सिंह की कस्टडी चाहिए। इस पर कोर्ट ने यहां तक कहा कि फोन आपके पास है, आप सीडीआर निकाल ही लेंगे, इसके बाद कन्फ्रंट की जरूरत कहां रह जाती है? कोर्ट ने ईडी की 10 दिन की रिमांड की मांग की जगह 5 दिन की मंजूरी दी।

इस मसले पर संजय सिंह के वकील मोहित माथुर की तरफ से मामले के मुख्य गवाह दिनेश अरोड़ा की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाया गया। मोहित माथुर की तरफ से कहा गया कि ईडी का सबसे बड़ा गवाह दिनेश अरोड़ा है जो कि ईडी और सीबीआई दोनों मामलों मे आरोपी था। अब वो दोनों ही मामलों में सरकारी गवाह बन गया है। दिनेश अरोड़ा बार-बार बयान बदलता रहता है। उसकी साख सवालों के घेरे में है। बावजूद इसके जांच एजेंसियां जिसे पकड़ना चाहता है उसको दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बना कर पकड़ लेती हैं।

ऐसी ही गरमागरम बहस सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिली। मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से कहा कि सबूतों की कड़ी एक दूसरे से नहीं जुड़ रही हैं। आपकी दलीलें अनुमान आधारित हैं, जबकि ये सबूतों पर आधारित होनी चाहिए। सिसोदिया को अगर पैसे मिले तो किसने दिया, कैसे दिया? पैसे देने वाले बहुत सारे लोग हो सकते हैं, जरूरी नहीं कि ये शराब से जुड़ा हो..सरकारी गवाह बने कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयानों के अलावा सबूत कहां हैं?