कब तक करता रहेगा भारत इंतजार ?

अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात राष्ट्र की चिंता बढ़ाने वाले हैं। समय समय पर आ रहे अफगानी प्रवक्ताओं के नए नए बयान बता रहे हैं कि भरोसे के लायक बिल्कुल भी नहीं है तालिबान। साफ जाहिर हो रहा है कि तालिबान पाकिस्तान और चीन के चक्कर में फंसा है। उसकी जुबान से निकलने वाली हर बात में दिखता है पाकिस्तान का पाखंड और चीन की कोई नई चाल। एक ओर भारत को बार बार कहता है कि वो कश्मीर के मसले पर हस्तक्षेप नहीं करेगा लेकिन फिर दूसरे दिन उसका ही कोई प्रवक्ता कश्मीर पर राष्ट्र विरोधी राग सुनाने लगता है।

दोहा में अफगानिस्तान ने खुद ही पहल की और भारत के राजदूत दीपक मित्तल से बात की, अफगानिस्तान की धरती के आतंकी इस्तेमाल से इंकार किया।

तालिबान के सहयोगी हक्कानी ग्रुप का अनस हक्कानी कहता है कि तालिबान कश्मीर मसले पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

लेकिन फिर तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन का ताजा बयान सामने आता है जो हैरान करता है, तालिबान के दोहरे चरित्र को सामने रखता है। तालिबानी प्रवक्ता कहता है कि कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार तालिबान के पास है।

15 अगस्त के बाद का पाकिस्तान रंग दिखाने लगा है। बार बार दोहराने लगा है कि तालिबान कश्मीर की उसकी नापाक मुहिम में साथ देगा। POK यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लगातार आ रही तालिबानी लड़ाकों की तस्वीरें हमे एलर्ट करने के लिए काफी हैं। जिस तरह से अफगान फतह पर POK में खुशियां मनाई जा रहा हैं। जिस तरह से वहां तालिबान में लड़ रहे पाकिस्तान के आंतकियों की घर वापसी हो रही है। क्या भारत के लिए हाई एलर्ट का इशारा नहीं कर रही हैं?

अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की पकड़ से अब किसी को इंकार नहीं। पाकिस्तान के मदरसों ने वहां की जमीन पर इस्लामी कट्टरपंथ के बीज बोए। पाकिस्तानी सेना के साथ साथ अंदर बैठे आतंक के आकाओं ने तालिबान की आतंकी फसल को खाद-पानी देने का काम किया। आज ये फसल लहलहा रही है। अफगानिस्तान के आम लोग तो डरे हुए हैं ही, दुनिया को भी डरा रही है।

लाख इंकार करे अफगानिस्तान कि वो अपनी जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने नहीं देगा। लेकिन वहां के बिगड़े आर्थिक हालात ये बताने के लिए काफी हैं कि पाकिस्तान के पाखंड और चीन की चालबाजी से उसका बच निकलना मुश्किल है।

चीन लगातार अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। उसे हर तरह की आर्थिक मदद देने की बात कर रहा है। पूरी बेशर्मी से अफगानिस्तान भी बार बार दोहरा रहा है कि देश चलाने के लिए उसे आर्थिक मदद की दरकार है। तालिबान में नंबर दो माने जाने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने हाल ही में बीजिंग का दौरा किया। इस दौरान चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की। तालिबान के राजनीतिक ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर अब्दुल सलाम हनफी की भी चीन के विदेश राज्य मंत्री वू जिआनघाओ के साथ बातचीत जारी है।

मध्य एशिया में अपनी मजबूती के मंशूबे के साथ साथ चीन की नजर अफगानिस्तान के 200 लाख करोड़ के खनिज संपदा पर भी है।

साफ दिख रहा है कि बदहाल और कंगाल अफगानिस्तान को चीन अपने चंगुल में कसने की पूरी तैयारी कर रहा है। ऐसे में सवाल सबसे बड़ा यही, भारत कैसे कर सकता है इंतजार ?