दिल्ली का CM, देश का PM कौन था?
देश की राजधानी है दिल्ली। बाढ़ग्रस्त दिल्ली की तस्वीरें बहुत कुछ बयां करती हैं। बाढ़-बारिश से बदहाल दिल्ली वालों के एक-एक बयान के बहुत मायने हैं। ये बस दिल्ली वालों का दर्द नहीं हैं। ये दस्तावेज हैं..जो इंटरनेट की आभासी दुनिया में हमेशा के लिए दर्ज हो चुके हैं। आने वाले वक्त में ये गवाही देंगे.. कैसे देखते ही देखते..देश की राजधानी पानी-पानी हो गई। कोई भीषण प्राकृतिक आपदा नहीं आई। दिल्ली में बारिश भी नहीं हुई। हिमाचल में बारिश हुई। वहां से पानी बहता हुआ..हरियाणा से होता हुआ..दिल्ली पहुंचा। हरियाणा से दिल्ली पहुंचने में पानी को दो दिन लगे। दो दिनों में कोई कुछ नहीं कर सका। दिल्ली में केंद्र की सत्ता बैठी है। दिल्ली में केंद्र सरकार के तमाम मंत्री रहते हैं। दिल्ली में केंद्र सरकार के बड़े-बड़े अधिकारी रहते हैं। जो देश चलाने का दावा करते हैं। जो देश को विकास की राह पर ले जाने दम भरते हैं। देश की तमाम समस्याओं को समाधान देने का दावा करते हैं। दो दिनों में पानी हिमाचल-हरियाणा होते हुए दिल्ली की ओर बढ़ता रहा। सब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। इन दो दिनों में किसी भी बड़े केंद्रीय नेता..किसी भी बड़े केंद्रीय अधिकारी को दिल्ली वालों ने दिल्ली का हाल संभालते नहीं देखा।
कुछ दिखा भी तो नेताओं का फ्लड टूरिज्म जरूर दिखा। कुछ सांसद अपने कैमरा टीम के साथ नाव पर सवार होकर..बाढ़ वाले इलाकों में घूमते जरूर दिखे। इसके बाद उन्होंने क्या किया..किसी को नहीं पता। 13 जुलाई को जब बारिश के पानी ने पूरी तरह दिल्ली को अपनी चपेट में ले लिया, जब यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार पहुंच गया, तब जाकर सब जागे..उसके बाद 14 जुलाई को एलजी ने DDMA..यानी दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक बुलाई। जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उपस्थित रहे। कायदे से ये इमरजेंसी बैठक 12 जुलाई को होनी चाहिए थी।
12 जुलाई से ही यमुना के जलस्तर बढ़ने का अलर्ट सामने आने लगा था। यमुना का जलस्तर 205 मीटर से बढ़ने का अलार्म दोपहर तक आ गया था। दिल्ली में यमुना के जलस्तर का डेंजर लेवल – 205.33 मीटर है। दोपहर में सेंट्रल वाटर कमीशन ने कहा था रात 10 से 12 के बीच यमुना का जलस्तर 207.72 तक जाएगा। जबकि यमुना का जलस्तर 207 के पार शाम 5 बजे तक ही पहुंच चुका था।
इससे पहले 1978 में जब यमुना में बाढ़ आई थी..उस वक्त यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था। मतलब बुधवार शाम तक दिल्ली में यमुना का 45 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा। 13 जुलाई को दिल्ली में यमुना का जलस्तर 208 मीटर के पार पहुंच गया।
ये सब बातें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12 जुलाई शाम को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई। जिसके बाद के हालात को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा..दिल्ली में बाढ़ और बारिश को लेकर एलजी की आपात बैठक 12 जुलाई को होनी चाहिए थी।
हिमाचल में शनिवार-रविवार को तेज बारिश हुई..मंगलवार को हरियाणा के हथिनी बैराज से पानी आगे बढ़ा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार से हरियाणा की खट्टर सरकार से गुहार लगाते रहे। लेकिन कोई बात नहीं बनी। कहा गया वहां कोई रिजर्वायर नहीं है। लेकिन पानी को नहरों या दूसरी तरफ डायवर्ट तो किया ही जा सकता था। कुछ नहीं किया गया। किसी भी तरह की अल्टरनेट व्यवस्था पर काम नहीं किया गया।
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी भी लिखी। जिसमें राजधानी के महत्व की दुहाई भी दी। G20 का जिक्र भी किया। बावजूद इसके दिल्ली के महत्व को नजरअंदाज किया गया।
सब चलता रहा..पानी अपनी रफ्तार में दिल्ली की तरफ बढ़ता रहा। कहीं से भी..किसी की भी तरफ से देश की राजधानी को बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। दिल्ली की सरकार को पानी के फ्लो में बड़ी बाधा के तौर पर उभरे आईटीओ बैराज के बंद दरवाजों का पता तक नहीं चला।
हरियाणा से चला पानी दो दिन में दिल्ली पहुंच गया। नतीजे देश-दुनिया के सामने हैं। दिल्ली का वीवीआईपी इलाका माना जाने वाला..सिविल लाइन्स तक पानी में डूब गया। सीएम, एलजी आवास तक पानी पहुंच गया। महंगी कोठियों में रहने वाले लाचार हो गए। यमुना से सटा उत्तरी दिल्ली का बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया।
अब कोई कैसे किसी को समझाए..दुनिया में मजबूत ग्लोबल छवि वाले हिन्दुस्तान की राजधानी पानी-पानी है। दुनिया की पांचवी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था अपनी राजधानी को सुरक्षित नहीं रख सकता। याद रहे इंटरनेट की दुनिया में अब ये हमेशा रहने वाला है। सालों बाद लोग जरूर जानने की कोशिश करेंगे..उस वक्त दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन था, उस वक्त देश का प्रधानमंत्री कौन था?