सिक्किम में आए जल सैलाब की तस्वीरें दिल दहलाने वाली हैं। बाढ़ का पानी आगे बह गया है। पीछे छोड़ गया है तबाही की तस्वीरें। राजधानी गंगटोक से 150 किलोमीटर उत्तर की ओर चुंगथांग शहर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। मकानों का पूरा का पूरा निचला फ्लोर गायब है। पहाड़ों से नीचे आया सैलाब इतना ज्यादा मलबा लेकर आया। ऐसा लगता है जमीन का लेवल 10 से 12 फीट तक ऊंचा हो गया। कई लोगों के मारे जाने की आशंका है। अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं। जान माल के नुकसान के साथ एक आंकड़ा जो पूरे देश को परेशान कर रहा है..वो है सेना के 20 से ज्यादा जवानों का लापता हो जाना। सेना के कई जवानों की मौत की पुष्टी हो चुकी है। गायब जवानों की तलाश जारी है। इस बीच पाक्योंग के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ताशी चोपेल ने सभी जवानों के मौत की आशंका जताई है। अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टी नहीं हुई है।
3 अक्टूबर को देर रात ये जल सैलाब आया। शुरुआती दौर में बताया गया कि ऊपर पहाड़ों पर बादल फटने की वजह से तीस्ता नदी में अचानक से बाढ़ आया, जो तेज रफ्तार से नीचे की ओर बहते हुए अपने साथ सबकुछ बहा ले गया। पानी की रफ्तार इतनी तेज थी कि चुंगथांग बिजली परियोजना का मजबूत बांध तक तहस नहस हो गया। पानी के रास्ते में पड़ने वाले सभी तरह के निर्माण उजड़ गए। सबकुछ तबाह हो गया। इस आपदा में 22 हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की ख़बर है।
नदी से लगे इलाके में ही आर्मी कैंप भी था। जो जल सैलाब की चपेट में आ गया। आर्मी कैंप को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। यहां खड़ी करीब 40 गाड़ियां डूब गईं। सेना के इस्तेमाल की बहुत सारी चीजें बह गईं। जिनमें खतरनाक हथियार भी शामिल हैं। सेना की तरफ से हालात को गंभीर बताया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि सेना के हथियार तीस्ता के बहाव के साथ नीचे की तरफ आ गए होंगे। जिसके गलत हाथों में जाने की पूरी संभावना है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पश्चिम बंगाल के जलपाईगुरी पुलिस ने स्थानीय जनता के लिए नोटिस जारी किया है। जिससे सेना के समानों की बरामदगी आसानी से की जा सके।
चीन के सीमावर्ती इलाके की इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सिक्किम में आए जल सैलाब के पीछे चीन की साजिश तो नहीं? सोशल मीडिया पर ये बहस जोर पकड़ती जा रही है। बहुत सारे लोगों का कहना है कि इस पूरे मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। जो चीन कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से पूरी दुनिया को परेशान कर सकता है। वो चीन कुछ भी कर सकता है। इस खतरनाक बाढ़ को महज प्राकृतिक आपदा मान लेना बड़ी भूल होगी। जिस तरह से इस जल सैलाब ने भारतीय सेना को चोट पहुंचाई है, ये बड़ी चिंता का विषय है। इस पूरे मामले की जांच करवाई जानी चाहिए।
खुद को जियो पॉलिटिक्स के जानकार और अमेरिका के फॉरेन पॉलिसी काउंसिल के सदस्य बताने वाले डॉक्टर बोस बताते हैं कि सिक्किम में आई बाढ़ के चीन कनेक्शन को इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई तथ्य और वैज्ञानिक प्रमाण हैं जो इस ओर इशारा करते हैं। चीन क्लाउड सीडिंग के जरिए ऐसा आसानी से कर सकता है।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी संदीप धवन भी सोशल मीडिया पर चीन की क्लाउड सीडिंग वाली थ्योरी पर संदेह जाहिर करते नजर आते हैं।
उमेश इसे ‘वेदर वॉर’ का नाम देते हैं। उनके अनुसार चीन लंबे वक्त से महत्वाकांक्षी क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम पर काम कर रहा है। इसकी जानकारी मिलती रही है। वियतनाम वॉर में भी इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। भारत-चीन के बीच इसकी एंट्री हैरान करने वाली है।
क्या होती है क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग कृत्रिम बारिश की एक तकनीक होती है। क्लाउड सीड्स को साइंटिफिक तरीक से लैब में तैयार किया जाता है। जिसमें सूखी बर्फ, नमक, सिल्वर आयोडाइड समेत कई तरह के रसायन मिलाए जाते हैं। चीन इसके खतरनाक इस्तेमाल पर लंबे वक्त से काम रहा है।
सिक्किम में आए जल सैलाब को बादल फटने की घटना माना जा रहा है। एक दूसरी थ्योरी ल्होनक झील के टूटने से संबंधित भी है। जिसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार माना जा रहा है। भू वैज्ञानिक इस पर मंथन कर रहे हैं। इस बीच चाइन कनेक्शन वाली तीसरी थ्योरी भी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। सिक्किम के सामरिक महत्व को देखते हुए क्लाउड सीडिंग वाली थ्योरी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।