AAP के ‘किसान प्रेम’ बवाल पर सवाल

संसद से सड़क तक जिस तरह से आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद ने बवाल काट रखा है संदेश तो यही जा रहा है कि पार्टी किसानों से बहुत ज्यादा प्रेम करती है। उनके मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र सरकार का किसान बिल पूरी तरह से किसानों को बर्बाद करने की तरफ उठाया गया कदम है। जिस तरह से संजय सिंह इन दिनों यूपी की सियासत में मेहनत कर रहे हैं उस लिहाज से तो इसे सही भी कहा जा सकता है। क्योंकि यूपी की सियासत में किसान हित बड़ा रोल प्ले करती है।

लेकिन दिल्लीवालों के हित को आधार बना कर आगे बढ़ने वाली आम आदमी पार्टी यहां के किसानों से जुड़े मुद्दों पर घिरती नजर आ रही है। मोर्चा संभाल रखा है विधान सभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने। केजरीवाल सरकार द्वारा लगातार किसान हितों की अनदेखी को मुद्दा बना कर बड़ी आक्रामक पारी खेल रहे हैं बिधूड़ी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिल्ली के 365 गांवों के किसानों के द्वारा आभार व्यक्त करने का बड़ा कार्यक्रम इस दिशा में बिधूड़ी का मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है। केंद्र सरकार की पहल को ऐतिहासिक बताते हुए किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री का शॉल ओढ़ाकर और पगड़ी पहना कर भव्य अभिनंदन किया।

इससे पहले रामवीर सिंह बिधूड़ी केजरीवाल सरकार की किसान विरोधी नीतियों की पोल खोल करते रहे हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए सात सवाल दागे हैं –

  1. जब हरियाणा के किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती है तो फिर दिल्ली के किसानों से 8 रुपए प्रति यूनिट तक चार्ज क्यों वसूला जाता है? साथ ही 125 रुपए प्रति किलोवाट प्रति महीना फिक्स चार्ज क्यों लिया जाता है?
  2.  कृषि उपकरण की खरीद पर हरियाणा सरकार 50 से 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है, ऐसा दिल्ली में क्यों नहीं किया जाता है?
  3. किसानों की जमीन एक्वार होने पर मिलने वाली मुआवजा राशि में पूरे देश में बढ़ोतरी हो गई है। देश का एकमात्र राज्य दिल्ली है जिसने कोई बढ़ोतरी नहीं की। यहां के किसानों की जमीन को महज में 17 लाख से 53 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से एक्वार किया जाता है। हरियाणा के किसानों को मुआवजा भुगतान में डेढ़ करोड़ रुपए प्रति एकड़ का रेट मिलता है। उसको भी तीन गुना बढ़ा कर किसानों को दिया जाता है, तकरीबन साढ़े चार करोड़ प्रति एकड़ तक का भुगतान होता है।
  4. किसानों की जमीन एक्वार करने के बदले रेजिडेंसियल प्लॉट दिए जाने का प्रावधान है। बावजूद इसके यहां के हजारों किसानों को पिछले छह साल में प्लाट देने के लिए सरकार की तरफ से रेक्मेन्डेशन क्यों नहीं किया गया?
  5. दिल्ली के किसानों को MSP से छह सौ रुपए प्रति क्विंटल अधिक की दर से भुगतान का वादा दिल्ली सरकार ने क्यों नहीं पूरा किया?
  6. सौर उर्जा के ट्यूबवेल लगाने पर हरियाणा सरकार 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है जबकि यहां इसके उपर प्रतिबंध है?
  7. साहिब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्रीत्व काल में किसानों की बेटियों की पढ़ाई के लिए दो कॉलेज बवाना और कैर में खोले गए थे, वे अभी भी टिन शेड में चलते हैं, उनकी बिल्डिंग आज तक क्यों नहीं बन सकी?