पंडित चरनजीत
जीव की तीन अवस्थाएं मानी गई हैं, जाग्रत, सुषुप्त और स्वप्न। जब जीवन चेतनावस्था की ओर अथवा अचेतनावस्था की ओर आ रहा होता है। उस समय अनेकानेक प्रकार की कल्पनायें और दृश्य अन्तर्मन में उभरते हैं, उन्हें ही स्वप्न कहा जाता है। शुभ स्वप्न कार्य सिद्धि की सूचना देते हैं, अशुभ स्वप्न कार्य असिद्धि की सूचना देते हैं और मिश्रित स्वप्न मिश्रित फलदायक होते हैं।
यदि पहले अशुभ स्वप्न दिखे और बाद में कोई शुभ स्वप्न दिखे तो शुभ स्वप्न के फल को ही व्यक्ति पाता है। बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति सो जाये अथवा रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है अथवा उठकर भगवान शंकर को नमस्कार करें। या अपने गुरु का स्मरण करे तब भी बुरे स्वप्न का नाश हो जाता है।
विभिन्न स्वप्न फल निम्न प्रकार से हैं –
- यदि स्वप्न में किसी व्यक्ति का मार्गदर्शन कोई वृद्धा करती दिखाई दे तो समाज में उसका मान – सम्मान बढ़ता है।
- यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में अपने आपको कोई पुस्तक पढ़ते देखता है तो उसका समाज मे मान – सम्मान बढ़ता है।
- यदि वह बच्चों को पुस्तक पढ़ते देखता है तो उसका दाम्पत्य जीवन सुखपुर्वक व्यतीत होता है।
- जब कोई व्यक्ति स्वप्न में संदूक अथवा बक्सा खोलता है तो उसे सभी सुख – सुविधाएं मिल जाती हैं और उसका जीवन चिन्ता से मुक्त होता है।
- जो व्यक्ति स्वप्न में फटा – पुराना कोट पहनता है और वह लेखक है तो उसे साहित्यिक पुरस्कार मिलने की सम्भावना बढ़ती है।
- जो व्यक्ति स्वप्न में बच्चे का बोलना देखता है तो वास्तविक जीवन में उसका पारिवारिक सुख बढ़ जाता है।
- जो व्यक्ति स्वप्न में देखे कि वह संकटों से घिरा हुआ है तो उसे उसे अपने कार्य में सफलता मिलती है।