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Mukherjee Nagar Bridge
मौत का इंतजार करता सिस्टम! किसी की मौत होगी..तभी हादसा बड़ा होगा..तभी हंगामा होगा..शोर होगा तब जाकर सिस्टम की नींद खुलेगी. तभी जाकर कुछ काम होगा. देश की राजधानी है दिल्ली..ऐसा लगता है कि यहां के नेताओं और अधिकारियों ने शहर के इस गौरव को ही भुला दिया है. सड़क निर्माण हो..पुल निर्माण हो..नगर...
सूचना की शक्ति समझिए ये जो बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रहे हैं..सेना के बड़े अधिकारी मीडिया को बुला-बुला कर बता रहे हैं..बीजेपी के बड़े-बड़े नेता समझा रहे हैं..’हमने भी पाकिस्तान पर सही से पलटवार किया’.. उसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है..सेना के सूचना तंत्र की बस एक दिन की गड़बड़ी..शुक्रवार...
एक बार फिर दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता हनुमान मंदिर पहुंचीं. एक बार फिर सीएम के मंदिर पहुंचने की ख़बर सुर्खियां बनीं. लेकिन अफसोस इस बार भी वो ख़बर नहीं आई जिसका इंतजार लंबे वक्त से नॉर्थ और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के हजारों..लाखों लोगों को है. काश किसी मंगलवार या शनिवार के दिन...
पाठ जो ‘पहलगाम’ ने पढ़ा दिया पर्यटकों की भीड़ में से पहले पुरुषों को अलग करना..उनसे उनका धर्म पूछना..संशय की स्थिति में उनसे कलमा पढ़वाना..उनकी पैंट उतार कर कन्फर्म करना कि हिन्दू ही है..फिर गोलियों से भून देना..सब कुछ..सबके सामने. पत्नी के सामने पति..बेटे-बेटी के सामने पिता. भावनाओं की समझ रखने वाले समझ सकते...
Delhi School Fees Regulation Act
ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली के बेलगाम स्कूल वालों पर नकेल कसना साधारण श्रेणी का कार्य नहीं है. स्कूल मैनेजमेंट पर सख्ती के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए सवाल उस पर है. आप मोटेतौर पर देखेंगे तो पाएंगे कि स्कूलों की व्यवस्था को ठीक रखने के लिए नियम-कानून तो पहले से ही पर्याप्त थे, बावजूद इसके सीमित 355...
man with old car
40 की उम्र में गाड़ी ली, 55 में छीन ली! दिल्ली की सत्ता बदली, व्यवस्था बदलने की आस जगी. लेकिन जैसे-जैसे नई सरकार कदम आगे बढ़ा रही है, लगने लगा है सरकार अपनी सोच और संवेदना की बजाए ब्यूरोक्रेसी के बहकावे में आगे बढ़ रही है. दिल्ली की वो ब्यूरोक्रेसी जो पिछले 10 सालों...
#AAP ने तो दिल्ली की पहचान बदल दी! ‘दिल वालों की है दिल्ली’..दस साल पहले दिल्ली वालों की पहचान की पंच लाइन यही हुआ करती थी. लेकिन अब..‘कटोरा वालों की दिल्ली’ हो गई. इसे बारीकी से समझना होगा. समझना होगा..कैसे जब राजनीति बदलती है तो बहुत कुछ बदल जाता है. दिल्ली...
DELHI NGO POLITICS
गांवों में एक कहावत है – एक पाव दूध की जरूरत थी, गाय क्यों खरीद लिए!  दिल्ली की राजनीति को इस कहावत के जरिए थोड़ा आसानी से समझा जा सकता है. दिल्ली वालों की जरूरत एक पाव दूध की है. मतलब महज छोटी-छोटी जरूरतें. जिसे कांग्रेस, बीजेपी जैसे स्थापित राजनीतिक दल समझ ही नहीं...
#BJP की चुनावी मशीनरी उलझी! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी मंच सजा है. मंच पर दिल्ली बीजेपी के बड़े-बड़े नेता बैठे हैं. मोदी जी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा से भरने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. लेकिन मंच पर बैठे नेताओं के चेहरे पर उलझन साफ झलकती है. फिर एक बार...
‘रेवड़ियां’ और दिल्ली की आर्थिक सेहत चुनावी पिच पर लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी ने अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. खुद पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव जीतने के बाद दिल्ली की हर महिला को 2100 रुपये देंगे. महिला इनकम टैक्स नहीं भरती हो, कम से कम 18...

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