अगर आप सुगंधियों के शौकिन हैं, और तलाशते रहते हैं अच्छी अगरबत्ती, धूप, नेचुरल इत्र वगैरह तो चांदनी चौक मेन रोड पर ही 467 नं. की गुलाब सिंह जौहरीमल दुकान पर जरूर जाएं। आप की मुलाकात होगी कृष्ण मोहन सिंह से जो एक दूकान नही चला रहे हैं बल्कि पिछले तकरीबन 200 सालों से उनका परिवार जिस परंपरा को लेकर चल रहा है, उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। साल 1954 से वो इसे संभालते हैं। साल 1816 मे गुलाब सिंह ने इत्र के कारोबार की शुरुआत दरिबा कलां से की थी। आज वहां कॉरपोरेट ऑफिस है। चांदनी चौक वाली दुकान उनके परपोते ने 1929 में शुरु की थी। मतलब, तकरीबन पांच पीढ़ियों ने एक तारतम्यता के साथ अपने अनुभव और काबिलियत के दम पर अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है।
कृष्ण मोहन सिंह से मिलते ही यकीन होता है कि वे न सिर्फ इस ट्रेड के माहिर हैं, उनके पास खुशबू की दुनियां की नायाब जानकारियां भी हैं। आज डियो के ट्रेंड पर उन्हें गहरी आपत्ति है। वे बताते हैं कि डियो स्किन के सूक्ष्म छिद्रों को बंद करने का काम करता है जो तमाम तरह की बीमारियों को जन्म दे सकती है। ठीक इसके विपरीत, नेचुरल इत्र अच्छी खुशबू के साथ साथ स्किन को तरोताजा रखने का काम भी करता है। फुलों से तैयार नेचुरल इत्र की मेडिसिनल प्रोपर्टिज को प्रामाणिकता साबित करने के क्रम में बताते हैं कि इत्र को उर्दु में ‘अत्तर’ कहते हैं जबकि डॉक्टर के लिए ‘अत्तार’ शब्द का इस्तेमाल होता रहा है।
उनका मानना है कि प्राणायाम करने वाले यदि अगर गुलाब या चंदन का इत्र लगा कर रखें तो ज्यादा ताजगी महसुस करेंगे। हम जानते हैं कि किस तरह गुग्गुल वातावरण को शुद्ध करता है। हिना का इत्र गर्म होता है, सर्दियों में इसे लगाया जाए तो ये हमें सर्दी-जुकाम आदि से बचाता है। वहीं खस के शरबत की खूबियां तो हम जानते है, खस का इत्र भी ठंडा माना जाता है, जो गर्मी में लू वगैरह से हमारे शरीर का बचाव कर सकता है। यहां नेचुरल तरीके से नारियल के तेल से बने साबुन भी मिलते हैं, जो स्किन के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं।