देश संकट में है, दिल्ली संकट में है, इस कोरोना काल में सब कुछ रुक सकता है लेकिन नहीं रुक सकती है तो सियासत। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर करारा वार करने का मौका कैसे चूक सकती थी भाजपा। मानसरोवर गार्डन के रहने वाले हरीश खुर्राना ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की कि पिछले एक साल और इस साल कोरोना काल में अब तक दिल्ली सरकार ने कितना पैसा विज्ञापन में खर्च किया है? जानकारी मिली कि पिछले एक साल में तकरीबन 200 करोड़ रुपए विज्ञापन में खर्च किया गया। कोरोना काल में अप्रैल से जुलाई तक दिल्ली सरकार ने तकरीबन 48 करोड़ रुपए प्रचार प्रसार में खर्च किए। यहां तक तो ठीक है, पता चला कि पैसा ज्यादातर दूसरे राज्यों में दिल्ली सरकार के काम काज का बखान करने में खर्च किए गए।
फिर क्या था भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने गर्मा गर्म प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाला। धारदार तरीके से दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर हमले किए। आरटीआई से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना काल में प्रतिदिन 40 लाख के हिसाब से पिछले 4 महीने में केजरीवाल सरकार ने 48 करोड़ रुपए केवल विज्ञापन में खर्च कर दिए। अगर इस पैसे का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता तो प्रतिदिन 2 लाख लोगों को मुफ्त भोजन मिल सकता था। मतलब पिछले 5 महीने में 3 करोड़ लोगों को मुफ्त खाना खिलाया जा सकता था। इन पैसों से दिल्ली के लोगों के लिए प्रतिदिन 26 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थ। यानी 5 महीनों में 3900 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे। अस्पतालों में 30 हजार बेड बढ़ाए जा सकते थे। सवा 17 लाख ऑक्सीमीटर खरीदे जा सकते थे। लगभग 60 करोड़ मास्क और सैनिटाइजर खरीदे जा सकते थे।
एक तरफ तो सरकार कहती है कि कर्मचारियों के देने के लिए उसके पास पैसे नहीं है फिर इतनी बड़ी रकम विज्ञापन पर क्यों खर्च कर रही है। पिछले एक साल में सरकार ने विज्ञापन पर 200 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। जो 55 लाख प्रतिदिन बैठता है।
बीजेपी ने दिल्ली सरकार से सवाल पूछे हैं कि इन पांच महीनों में सरकार ने अपने फंड से कितने लोगों को मास्क, सैनिटाइजर, राशन किट, काढ़ा और खाना बांटा है?