कोरोना महामारी जिस प्रदेश में मौत का तांडव मचा रही हो, वहां के सत्ताधारी सियासी संगठन के मुखपत्र, ‘सामना’ के सबसे सामर्थ्यवान कार्यकारी संपादक, सांसद संजय राउत को सुशांत सिंह राजपूत के मौत पर छाई हताशा..निराशा में मार्केटिंग का एंगल निकालने के लिए समय निकालना पड़े, बकायदा बकवास टाइप का रिसर्च निकाल कर लिखने बैठना पडे़, सवाल तो खड़े करता है। शिवाजी के शौर्य की मार्केटिंग कर, क्षेत्रवाद के नफरत की मार्केटिंग कर, इतना बड़ा सियासी साम्राज्य खड़े करने वाली पार्टी शिवसेना वालों को बिहार के छोटे से शहर से बॉलीवुड के शीर्ष पर पहुंचने वाले सितारे का सफर संदेहास्पद तो लगेगा ही। वो उसके मजबूत इरादों पर संदेह करेगा ही। सीएम पद का लोभ जिसे बड़े भाई भाजपा की पीठ में खंजर मारने पर मजबूर कर दे, उसे किसी की मेहनत से हासिल सफलता हैरान तो करेगी ही। उनकी क्षमता देखिए..20..25 साल हो गए मुंबई के नाले जिनसे साफ हुए नहीं। जो वैश्विक महामारी मिटाने का नकारा दम भर रहे हैं। उनके सामने #सुशांत की सफलता का ग्राफ देखिए, जाहिर है सुशांत के शोक में जारी विलाप उन्हें परेशान तो करेगा ही। अब तक नहीं सोचा..लेकिन अब लगता है कि सीबीआई जांच की मांग सही है..लगने लगा है कही मुंबई के नेपोटिज्म के नक्कारों की फौज को बचाने के लिए ‘सामना’ में वैचारिक उल्टियां तो नहीं की जा रही है। जिसकी बदबू..सुशांत की मौत की जांच पर जाहिर सरकारी मंशा..सिस्टम को स्वाभाविक रूप से शिथिल कर दे।