बहुत दिनों के बाद पिछले 24 घंटे के आंकड़ें राहत देने वाले आए हैं। कोरोना संक्रमण के 946 नए केस मिले। ऐसा 22 मार्च के बाद पहली बार हुआ है, संक्रमितों की संख्या एक हजार के नीचे रही। 22 मार्च के दिन दिल्ली में 888 नए मरीज मिले थे। संक्रमण की दर घटकर 1.25 प्रतिशत रह गई...
क्यों हार रहा भारत ?
दो बातें हैं दुनिया और भारत से जुड़ी जिस पर मंथन चल रहा है, जांच जारी है। सोचने वाली बात है कि अगर ये बातें सही साबित हो जाए तो क्या होगा..कितना बदल जाएगा विश्व और कितनी बदल जाएगी देश की सियासत, कितनी फजीहत होगी हमारे देश के उन...
एक प्रतिशत अब और नहीं
अयोध्या में राम मंदिर बनेगा ऐसा कुछ साल पहले तक अंसभव सा लगता था। इसकी आवश्यकता पर बहस अब निरर्थक ही है। जिस देश में सबसे बड़े आराध्य श्री राम रहे, आध्यात्मिक और धार्मिक पहचान सदियों से जिनसे आयाम पाती रही, उस देश में लंबे समय से उनके भौतिक...
कोरोना महामारी है, इसमें किसी को कोई संशय कम से कम से अब तो नहीं होना चाहिए। दिल्ली की सड़कों पर, विशेषकर मुहल्लों और सोसाइटीज के अंदर जैसा सन्नाटा इस बार के लगातार बढ़ते लॉकडाउन में देखने को मिल रहा है वैसा पिछले बार बिल्कुल नहीं था। पिछले पच्चीस दिनों में दिल्ली ने जो देखा, झेला शायद...
हमने सुना था या फिर सिर्फ किताबों में पढ़ा था कि देश में अकाल पड़ता था..महामारी आती थी..लाखों लोग मर जाते थे। एक आंकड़ा बताता है कि 1854 से 1901 के बीच 2 करोड़ 88 लाख 25 हजार से अधिक लोग देश में अकाल की वजह से मरे। केवल 1896-97 के अकाल में करीब 45 लाख लोग...
नंदीग्राम से ममता बनर्जी की हार अब तो ये साबित करने के लिए काफी है कि जिस तरह से उन्होंने अपनी चोट का सियासी इस्तेमाल किया वो महज छलावा ही था जिसकी गिरफ्त में सूबे की सारी जनता आ गई। लेकिन सच्चाई तो नंदीग्राम की जनता को पता थी, और यही ममता बनर्जी की हार की वजह...
रोहित सरदाना का चला जाना निसंदेह दुख का विषय है। देश के मीडिया जगत में शोक की लहर है। मेरी पहचान में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने उनके साथ काम किया था। सब ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। लेकिन कुछ अभिव्यक्ति पर खासा विवाद देखने को मिला। जिसमें सबसे मुख्य रही मुकेश जी की प्रतिक्रिया। उन्होंने बताया...
देश की राजधानी दिल्ली, जहां केन्द्र सरकार के सारे मंत्री और अधिकारी बैठे हैं, जो देश चलाने का दावा करते हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है जो देश में एक नए किस्म की राजनीति का वादा कर के सत्ता में आई थी। काफी सक्षम और शिक्षित सियासी तबका है दिल्ली के पास के। बावजूद...
हाथ बांधे खुद में सिमटा रहा..राजनीति से दूर..व्यवस्था को नजरअंदाज करता रहा। अपनी जरूरतों को अपनी जिम्मेदारी समझ बस बढ़ता रहा। मेहनत करता रहा..पहले बस पढ़ता रहा..सरकार ने जो सिलेबस तैयार कर दिया था, बस उसे पूरा करता रहा..पहले परिवार को अपने लिए मेहनत करते देखता रहा..फिर दौर ऐसा भी आया कि खुद को परिवार के लिए...
हैरानी होती है कैसे महामारी के इस महासंकट काल में भी किसी को सियासत सूझ सकती है। जबकि बिना भेदभाव के कोरोना का ये नया संस्करण संहार की मुद्रा में दिख रहा है। बड़ा हो या छोटा, प्रभावशाली हो या, आम इंसान, कोई भी, कभी भी इसकी चपेट में आ जा रहा है। हालात दिनोंदिन बद से...