वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। इस बजट को लेकर दिल्ली के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया रही ये जानते हैं।
सबसे पहले बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की। उन्होंने बजट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये बजट देश की चंद बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला बजट है। यह बजट देश में महंगाई के साथ आम जन मानस की समस्याएं बढाने का काम करेगा।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बीजेपी की केंद्र सरकार ने बजट में दिल्ली को फिर निराश किया है। दिल्ली को बजट में केवल 325 करोड़ मिले हैं, जबकि दिल्ली के लोग 1.5 लाख करोड़ का टैक्स केंद्र को देते हैं। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा एमसीडी को पैसा नहीं दिए जाने पर भी सवाल उठाया। केंद्र सरकार ने जब देश भर के नगर निगमों को 2 लाख करोड़ रुपए दिए, तो फिर दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा। बीजेपी शासित एमसीडी को एक रुपया भी नहीं दिया गया।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में सराहे जाने वाले सिसोदिया ने केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षा के बजट में पिछले साल की तुलना में 6000 करोड़ रुपए कम किए जाने पर सवाल खड़े किए। जबकि नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र सरकार ने खुद शिक्षा बजट जीडीपी का कम से कम 6 प्रतिशत करने की नीति की बात की है। क्या इसे महज एक जुमला माना जाए? इतिहास गवाह है कि परिवार हो या देश, आत्मनिर्भर वही बनता है जो अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करता है। जब बच्चे पढ़ेंगे नहीं तो देश आत्मनिर्भर कैसे होगा?
बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, आदेश गुप्ता ने साल 2021 के बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की दूरदर्शी सोच को साधने वाला बताया। उन्होंने कहा कि ये देश के मेहनती किसानों को बल प्रदान करने वाला, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के संकल्प और विश्व में एक मजबूत भारत स्थापित करने के लक्ष्य पर आधारित बजट है।
वही दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने इस बजट को चुनावी बजट करार दिया है। उन्होंने इसे वेस्ट बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु का चुनावी बजट कहा है। बजट में इन राज्यों में होने वाले चुनावों को साधने का स्वार्थ स्पष्ट दिखता है।