दिल्ली जलबोर्ड सियासी अखाड़ा बना पड़ा है इन दिनों। एक तरफ बोर्ड की बदहाली के आरोप हैं तो दूसरी तरफ बस सियासी आरोप प्रत्यारोप। बात पुलिस तक जा पहुंची है। अभी दो दिन पहले दिल्ली बीजेपी ने दिल्ली जलबोर्ड के मुख्यालय पर तोड़-फोड़ मचायी। बड़ी संख्या में दिल्ली बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता जबरन मुख्यालय परिसर में घुसे है और शीशे व गमले वगैरह तोड़ दिए। गार्डों से हाथापाई की। उपाध्यक्ष राघव चड्डा के केबिन में भी कुर्सियां वगैरह उलट-पुलट दी। सीएम अरविंद केजरीवाल की तस्वीर तोड़ी। हैरानी इस बात की हुई कि दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता की उपस्थिति में ये सब हुआ। लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश की राजधानी में किसी राजनीतिक दल द्वारा की गई इस तरह की हरकत निंदनीय है। राघव चड्डा ने इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करवा दी है। उन्होंने इस घटना को किसान आंदोलन से जोड़कर बताया। उनका कहना था कि आम आदमी पार्टी किसानों का समर्थन कर रही है इसलिए ही बीजेपी के लोगों ने ये तोड़-फोड़ की है।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली बीजेपी का कहना है कि दिल्ली जलबोर्ड में भ्रष्टाचार चरम पर है। जिसको लेकर पार्टी आंदोलित है। दिल्ली जलबोर्ड ने पानी और सीवर के लिए अलग अलग इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज लेना शुरू कर दिया है। जिससे दिल्ली वाले खासे परेशान हैँ। 2 साल पहले ही पानी की दरों में 20 प्रतिशत का इजाफा किया गया था। दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जलबोर्ड के मुखिया है, बावजूद इसके टैंकर घोटाले सामने आ रहे हैं। पानी माफिया का दखल बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली जलबोर्ड की आर्थिक स्थित बद से बदतर होती जा रही है। पहले 64 करोड़ रुपए प्रति माह के मुनाफे पर चलने वाला जलबोर्ड आज 100 करोड़ के घाटे में चल रहा है।
सियासी तनातनी का होना। जनता के हितों के लेकर जनप्रतिनिधियों के बीच की खींचतान लोकतंत्र की सेहत ठीक रखने वाला है। लेकिन बात तोड़-फोड़ पर आ जाए तो इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।