हाईकोर्ट ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए बड़ी ही सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लगातार ज्यादा टेस्टिंग की बात करते रहे। लेकिन लगता है कि आप की रणनीति ऑफट्रेक हो गई है। दिल्ली कोरोना कैपिटल बनने की दिशा में बढ़ रही है।
कोर्ट की टिप्पणी के बाद दिल्ली की सियासत गर्मा गई है। बीजेपी काफी हमलावर है। बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने इसे दिल्ली की नई पहचान बताते हुए सीएम केजरीवाल से पूछा है कि क्या यह निंदनीय नहीं है? क्यों आप गंभीर होती समस्याओं का समाधान समय रहते नहीं सोच पाते हैं, चाहे वो कोविड हो, प्रदूषण हो, जल जमाव हो या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़ा मसला हो?
सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने भी सीएम केजरीवाल पर तंज मारते हुए कहा कि टेलीविजन और विज्ञापनों में खुद की वाह-वाही करते थकते नहीं हैं केजरीवाल जी, लेकिन हकीकत में चाहे वो प्रदूषण हो या कोरोना महामारी, अदालत से डांट खाने का एक भी मौका नहीं छोड़ते वो..।
वहीं देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि हम सब के लिए दिल्ली एक चिंता का विषय बना हुआ है। चिंता इसलिए भी है क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है। दिल्ली में फैटेलिटी और रिकवरी रेट दोनों ही राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं।
सियासत एक तरफ लेकिन सच्चाई है कि दिल्ली में कोरोना के बढ़ते केसेज ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। उधर लगातार पिछले पांच दिनों से पांच हजार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे थे, जो इधर दो दिनों से छह हजार से बहुत अधिक आ रहे हैं। बस सात हजार का आंकड़ा छुने ही वाला है। यह एक दिन में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। रोजाना लगभग 50 लोगों की मौत डरा रही है। मोर्टलिटी रेट देश में 1.49 प्रतिशत है जबकि दिल्ली में यह बढ़कर 1.65 फीसदी हो गई है। जिस पर कंट्रोल करने बनाए रखने का दावा दिल्ली सरकार करती आई है। हालांकि दिल्ली में टेस्टिंग बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई है। रोजाना 55 हजार से अधिक लोगों की टेस्टिंग हो रही है। फिर पिछले हफ्ते के मुकाबले संक्रमण के बढ़े हुए आंकड़े चिंता बढ़ाते हैं।
दिल्ली सरकार एक बार फिर कमर कसती दिख रही है। समीक्षा बैठक के बाद दिल्ली सरकार ने कोरोना को नियंत्रित करने के लिए कुछ अहम फैसले लिए। जिसमें पटाखों पर प्रतिबंध, सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड बढ़ाना, टारगेटेड टेस्टिंग, प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड बढ़ाने के लिए लगी रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने की तैयारी शामिल है, और इसके साथ ही मृत्यु दर को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाने पर भी विचार किया गया।
दिल्ली की जनता को भी सजगता बढ़ानी होगी। त्योहारों की वजह से लोगों का मिलना जुलना काफी बढ़ा हुआ है। बाजारों और हाटों में भीड़ लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसे देख कर एक पल को आभास होता है कि वाकई दिल्ली को कोरोना कैपिटल बनने से कोई नहीं रोक सकता। तमाम तरह की सख्ती और संचार के बावजूद लोग मास्क नहीं पहनने की लापरवाही करते दिखते हैं। समस्या ज्यादा गंभीर न हो जाए कि फिर लॉकडाउन जैसी सख्ती का सामना करना पड़े। जनता को भी समय रहते चेतना होगा और समझना होगा कि सैनिटाजर और मास्क जैसे आसान विकल्प ही सबसे बेहतर हैं।