बिहार में बहार है..तो एमपी क्यों बेकार है?
कोरोना प्रतिनिधि मंडल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान से मिला। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के कोरोना वायरस काफी नाराज चल रहे हैं। विशेषकर चुनाव की घोषणा के बाद से जिस तरह बिहार में चुनावी रैलियों के माध्यम से वहां के वायरसों के लिए बिहार में बहार आया है, मध्यप्रदेश के विषाणु संघ में भारी रोष व्याप्त है। मध्यप्रदेश में भी महत्वपूर्ण चुनाव है, फिर यह भेदभाव क्यों? उन्होंने सीएम शिवराज से विनती कि है वो मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएं। एक देश एक कानून होना चाहिए। उनके साथ सूबे में हो रहे अत्याचार के खिलाफ देश की शीर्ष अदालत में आवाज उठाएं।
ताजा समाचार यही है कि सीएम शिवराज ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मीडिया में बयान जारी कर दिया है कि वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के भेदभावपूर्ण काले कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। उन्होंने साफ कहा है कि बिहार में हर दिन चुनावी रैलियां हो रही हैं, एक देश में इस तरह का विरोधाभासी कानून नहीं हो सकता। उनका यह बयान सीधा संदेश देता है कि सूबे के कोरोना वायरसों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार उन्हें जल्द समाधान दिलाने की दिशा में काम कर रही है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने पिछले दिनों यह आदेश दे रखा है कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए किसी भी चुनावी सभा में सौ से ज्यादा लोग इकट्ठा न हों। कोर्ट यही नहीं रुका है, आदेश में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ रैली में सौ से अधिक भीड़ की फोटो लेकर पास के थाने में एफआईआर दर्ज करवा जा सकता है।
बात सोचने की तो है, कोरोना वायरसों को क्यों न बुरा लगे..इन्ही राजनीतिक दलों के भरोसे ही तो इतना विस्तार संभव हो पाया भारत देश के अंदर। अगर इनकी गर्दन दबेगी तो उन्हें कौन बचाएगा। बिहार में सुशासन बाबू ने बड़ा काम किया। पता तो यही चला कि बिहार सरकार ने टेस्टिंग पर ही लगाम लगा दी। न जानेगी दुनिया न मचेगा शोर। कोरोना दल को भी कंबल ओढ़कर घी पीने जैसा आनंद आया। उस पर से चुनाव में तो लौटरी ही निकल पड़ी है कोरोनाओं की। थोड़ी गड़बड़ी आई है..जब से तेजस्वी की रैलियों में पब्लिक बढ़ी है..तभी से थोड़ा इक्वेशन बिगड़ सा गया है। चुनाव आयोग को किसी ने कुछ कहा तो जरूर है तभी तो शोर मचाने लगा है। भीड़ कम करो..भीड़ कम करो की बात अब बिहार को लेकर भी उठने लगी है। वरना अभी तक तो सब ठीक ही चल रहा था। बस थोड़ी सी आस है कि मोदी जी को न निराश कर दे बिहार की पब्लिक। अगर ऐसा हुआ तो कोरोनाओं खैर मनाओ..दुआ करो करो कि देश में चुनाव होता रहे..बिहार में यह हाल है..सोचो बंगाल में तो मजा ही आ जाएगा..देश के कर्णधार नेताओं की रैलियों में भीड़ आती रहे..सुना है कि ऐसा ‘राष्ट्रीय कोरोना मंच’ की तरफ से संदेश जारी किया गया है।
(व्यंग्य है..नेतागण दिल पर न लें)