फूड ट्रेड लाइसेंस पर फंसी एमसीडी

आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर बीजेपी शासित एमसीडी पर जबरदस्त हमला बोला है। मसला भी ऐसा है जो सीधे तौर पर एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार से जुड़ा है और कमाई का बड़ा जरिया रहा है। फूड ट्रेड लाइसेंस के नाम पर जारी पैसे का खेल दिल्ली में किसी छिपा नहीं है। लेकिन फिर भी इस पर रोक नहीं लगाया जा सका। ऐसे में दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में इस मुद्दे को उठाकर न सिर्फ एक बड़े भ्रष्ट खेल पर हमला बोला है बल्कि बीजेपी की केंद्र सरकार के हवाले से भी एमसीडी को घेरने की कोशिश की है।

दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री रेस्टोरेंट मालिकों को कोरोना काल की तंगी से कुछ राहत देने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने रेस्टोरेंट एसोसिएशन के साथ मीटिंग कर हेल्थ ट्रेड लाइसेंस को खत्म करने का फैसला कर लिया है। उनका कहना है इससे दिल्ली में खाने-पीने संबंधी काम करने वालों को थोड़ी राहत मिल सकेगी। जबकि मुख्यमंत्री के इस फैसले का तीनों नगर निगम विरोध कर रही है।

बताया जाता है कि इसके विरोध के पीछे की बड़ी वजह एमसीडी की अवैध कमाई है। आरोप है कि एमसीडी हर इस लाइसेंस को रिन्यू करवाने के नाम पर होटल मालिकों से एक लाख से पांच लाख तक की रकम अवैध तरीके से वसूल करती रही है। इसके साथ ही एमसीडी से जुड़े नेता और अधिकारी रेस्टोरेंट में जाकर फ्री सेवा लेते रहते हैं। इसी वजह से इस पर रोक नहीं लग पा रही है। जबकि केंद्र सरकार की संस्था एफएसएसआई भी इस तरह से एमसीडी के द्वारा की जा रही वसूली पर रोक लगाने की बात कह चुकी है। बकायदा लेटर जारी करके एमसीडी को आगाह किया जा चुका है। बावजूद इसके यह गलत परंपरा जारी है।

आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फेंस करके बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से दो सवाल किए हैं –

  1. क्या फूड ट्रेड लाइसेंस के नाम पर बीजेपी के नेता दलाली करते हैं?
  2. अगर दलाली चल रही है तो वो इसे रोकना क्यों नहीं चाह रहे हैं?

जिस तरह से आम आदमी पार्टी समय समय पर एमसीडी में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाती रही है इससे तो यही लगता है कि आने वाले दिनों में बीजेपी की सिरदर्दी बढ़ने वाली है। अगर बीजेपी ने वक्त रहते इस पर गंभीरता से काम नहीं किया तो एमसीडी में पंद्रह साल पुरानी सत्ता बचाने में उसे काफी मुश्किल हो सकती है।