दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी इरविन कॉलेज ने एक मिसाल कायम करते हुए अपने परिसर में 218 किलोवाट सोलर पावर प्लांट की शुरूआत की है। जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने दिल्ली सरकार की सोलर पॉलिसी के बारे में बताया। मुख्यतौर पर दो तरह की पॉलिसी के तहत काम किया जा रहा है। पहला आम नागरिकों, आरडब्ल्यूए और अन्य संस्थाओं के लिए डिजाइन किया गया है। जिसके तहत उन्हें अपनी छत या साइड की कोई जगह देनी है। उस पर कोई सोलर कंपनी पैनल लगाने का काम करेगी। उस कंपनी के साथ संस्था या व्यक्ति विशेष को कागजी करार करना होगा। दिल्ली सरकार उस कंपनी को पैनल लगाने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाएगी। इस तरह से लोगों को बिना पैसा खर्च किए सस्ती बिजली मिल सकेगी।
दूसरी पॉलिसी किसानों के लिए तैयार की गई है। जिसके तहत किसानों को अपनी जमीन से काफी उंचाई पर सोलर पैनल लगाने के लिए परमिशन देनी होगी। इसके लिए उन्हें सोलर पावर कंपनी के साथ करार करना होगा। कंपनी किसान को जमीन का किराया भी देगी और सस्ती बिजली भी मुहैया करवाएगी। बाकि बिजली कंपनी बिजली कंपनियों को बेचेगी। इसके साथ किसान अपनी जमीन पर खेती करने या किसी और इस्तेमाल के लिए भी स्वतंत्र है।
दिल्ली में जहां चार साल पहले महज 7 मेगावाट सोलर पावर का उत्पादन होता था, आज वह बढ़कर 177 मेगावाट हो गया है। अभी इस आंकड़े को और अधिक बढ़ाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि इसे जनआंदोलन में तब्दील करना होगा। भविष्य ग्रीन इनर्जी का ही है। थर्मल पावर प्लांट से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। इसीलिए सरकार ने दिल्ली में चल रहे दो थर्मल पावर प्लांट को बंद कर दिया है। अभी पड़ोस के राज्यों में चल रहे 11 थर्मल पावर प्लांट्स को बंद करवाने की लड़ाई दिल्ली सरकार लड़ रही है।
इसी लक्ष्य के साथ दिल्ली को आगे बढ़ना है कि आने वाले दिनों में मिसाल कायम करते हुए ‘सोलर कैपिटल ऑफ इंडिया’ के नाम से पहचान कायम हो।