शायद ही देश के किसी राज्य की सरकार इस तरह अपनी खुशी जाहिर करती है कि उसके राज्य के सरकारी स्कूल के 510 छात्र इस साल के जेईई मेंस की परीक्षा में पास हुए। साथ ही पिछले तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह हर साल इसमें बढ़ोतरी होती आई। साल 2018 में 350, 2019 में 473 छात्र पास हुए। अभी कुछ दिनों पहले ही जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों के रिजल्ट 98 प्रतिशत आने पर सरकार के सीएम हो या शिक्षा मंत्री जिस तरह की खुशी उनके चेहरे पर देश ने देखी, अपने आप में आम आदमी पार्टी की सरकार को देश में सबसे अलग दिखाती है। मतलब पढ़ाई लिखाई को अहमियत तो देती है ये सरकार।
दिल्ली विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह बात कही कि दिल्ली की सबसे बड़ी ताकत है ईमानदार और पढ़ी लिखी सरकार। इस बात पर आपत्ति तो व्यक्त की जा सकती है, गरमा गरमा बहस का मुद्दा तो यह बन सकता है। लेकिन कुछ बातों को सामने रख कर देखा जाए तो लगता है कि दिल्ली के साथ साथ देश और कहें तो दुनिया को इन नए नवेले राजनेताओं ने बहुत कुछ सीखने को तो दे ही दिया है। जिनमें सबसे उपर है शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर सरकारी स्तर पर किए गए प्रयोग। सरकारी स्कूलों के सुधार को लेकर की गई शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की मेहनत अब रंग दिखाने लगी है। इसी का परिणाम है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चे हर जगह अपनी सफलता का परचम लहराने लगे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोहल्ला क्लिनिक के प्रयोग पर अभी भी बहस जारी है। लेकिन आज की तारीख में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि कोरोना महामारी के मैनेजमेंट को लेकर दिल्ली सरकार के कई प्रयोग सफल हुए हैं। जिस तरह होम आइसोलेशन और प्लाज्मा थेरेपी को लेकर शुरूआती दौर में विरोध देखने को मिला, बाद में वही सबसे कारगर उपाय साबित हुए। आज इन्हें देश ही नहीं दुनिया में सराहा जा रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि सारे देश में ही नहीं दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्टिंग दिल्ली में हो रही है। जिस तरह दुनिया में होम आइसोलेशन को पहचान मिली। अमेरिका जैसे देश ने अगस्त में जाकर प्लाज्मा थेरेपी को अपनाने की बात कही, यह साबित कर देता है कि दिल्ली सरकार लिक से हट कर काम करती है। शायद यही उन्हें मौजूदा सियासी भीड़ में सबसे अलग कर देती है।