एमसीडी से जुड़े कर्मचारियों के सैलरी के मुद्दे पर बीजेपी को जबरदस्त तरीके से घेरते हुए आम आदमी पार्टी ने अल्टीमेटम दिया है कि एक हफ्ते के अंदर सैलरी दे या नहीं तो इस्तीफा दे। हर दिन एमसीडी से जुड़े किसी न किसी विभाग के कर्मचारियों के सैलरी न मिलने की वजह से परेशान होने की खबर आती ही रहती है। बीजेपी के एमसीडी पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
इस कोरोना संकट की घड़ी में एमसीडी से जुड़े अस्पताल हो, स्कूल हो या अन्य विभागीय कर्मचारी सभी पिछले कई महीनो से सैलरी के लिए परेशान हैं। हद इस बात की है कि कोरोना काल में अपनी और अपने परिवार के जान खतरे में डाल कर काम कर रहे अस्पतालों के डॉक्टर और नर्स को भी पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। और तो और दिल्ली की साफ सफाई में जुड़े खुद एमसीडी के कर्मचारी भी सैलरी संकट का सामना कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने बीजेपी से पूछा है कि एमसीडी का 18 हजार करोड़ का सलाना बजट है, आखिर इतना सारा पैसा जाता कहा है? अगर इसका 20 प्रतिशत भी भाजपा सही तरीके से खर्च करे तो सभी कर्मचारियों को आराम से सैलरी मिल जाएगी। लेकिन एमसीडी उपर ने नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबी है। दुर्गेश पाठक ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के इस खेल में पार्षद और बीजेपी के बड़े नेता शामिल हैं। उन्होंने मांग की है कि एमसीडी एक साल के लिए उनके हवाले कर दिया जाए। फिर देखिए कैसे आराम से सभी को सैलरी मिलती है, कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगती है?