कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा हर किसी को डराता है। हर कोई इससे हर कीमत पर बचने की कोशिश में लगा है। अपने तरीके से जो भी बेहतर उपाय हो सकता है वो कर रहे हैं लोग। हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों के बढ़ते आंकड़े बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। लेकिन इन सबके बीच एक थोड़ी राहत वाली खबर सुनने को मिली कि दिल्ली की 29.1 फीसदी आबादी ऐसी है जो कोरोना वायरस के प्रभाव में आई और फिर खुद की प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ठीक भी हो गई। मोटे तौर पर देखें तो 2 करोड़ की आबादी वाले इस शहर में से 59 लाख लोग कोरोना की चपेट में आए और खुद ही ठीक भी हो गए। उन्हें किसी तरह की डॉक्टरी इलाज लेने की जरूरत नहीं पड़ी।
इस तरीके से कोरोना को परास्त करने में पुरूषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा आगे रहीं। मतलब महिलाओं के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता ने इस वायरस के खिलाफ ज्यादा बेहतर तरीके से काम किया। 18 साल से कम उम्र वालों में भी अच्छे परिणाम देखे गए।
दरअसल अगस्त महीने के पहले सप्ताह में दिल्ली सरकार ने सिरो सर्वे करवाया। जिसके आधार पर ये जानकारी सामने आई। जिसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने साझा किया। पिछले महीने भी सरकार ने सिरो सर्वे करवाया था जिसमें 22 फीसदी लोगों में एंटीबॉडिज मिली थी। शरीर में एंटीबॉडिज मिलने से पता चलता है कि ऐसे लोगों पर कोरोना का एटैक हुआ था लेकिन अब ठीक हो गए हैं। इससे जुड़ी एक और अच्छी बात वैज्ञानिक बताते हैं कि ये एंटीबॉडिज सात से आठ महीने तक अच्छी संख्या में रहती है। फिर कम होने लगती है। लेकिन इसके साथ ही शरीर में टी सेल्स बनने लगते हैं जिनकी आयु ज्यादा होती है। इसका मतलब ये है कि यदि एक बार आपको कोरोना हो गया तो दोबारा होने के चांस काफी कम होते हैं। पिछली बार की तुलना में आंकड़े भले ही बेहतर हो रहे हों लेकिन अभी भी लोगों के अंदर हार्ड इम्यूनिटी बहुत अच्छे स्तर पर नहीं पहुंची है। अभी भी 70 फीसदी से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है। इसलिए दिल्ली वालों को तमाम तरह की सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है।