चार साल बीत गए लेकिन नोटबंदी की सियासी तासीर आज भी उतनी ही गर्म है। आज ही के दिन यानी 8 नवंबर को इसकी घोषणा की गई थी। कांग्रेस इसे ‘डेमो डिजास्टर’ के नाम से मना रही है तो बीजेपी ‘डेमो बून’ बता रही है। दोनो अपने अपने अंदाज में मोदी सरकार के इस फैसले को गलत और सही बता रहे है।
राहुल गांधी देश की अर्थव्यवस्था आज जिस बदहाल स्थिति में है उसके लिए नोटबंदी को ही जिम्मेदार बताते हैं। इसे पूरी तरह से कोरोना का प्रभाव मानना गलत होगा। अगर ऐसा होता तो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था इस समय भारत से बेहतर नहीं होती। राहुल बताते रहे हैं कि नोटबंदी और फिर उसके बाद जीएसटी जैसे दो बड़े झटकों ने अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया, जिससे देश उबर ही नहीं पा रहा है।
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम नोटबंदी को याद करते हुए सबसे पहले कहते हैं कि कोई सरकार जनता का भला नहीं कर सकती है तो उसे बुरा तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी के आगे के सालों में गिरती ही चली गई। हालांकि बाद में भी गलतियां की गई लेकिन सबसे पहली और सबसे बड़ी गलती नोटबंदी ही थी।
8 नवंबर 2016 के दिन, रात के 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अचानक से नोटबंदी की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। कई कारण गिनाए गए कि यह कड़वी दवा देश को क्यों खानी पड़ी। बहुत कुछ बदलने की दावा किया गया। भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा और आतंकवाद पर अंकुश लगेगा, ये दो उन दावों में सबसे प्रमुख थे। आज की तारीख में देखा जाए तो इन दोनों ही मोर्चे पर कोई बहुत बड़ी कामयाबी हासिल होती नहीं दिखती।
नोटबंदी के बाद जीएसटी और फिर कोरोना महामारी में जारी लॉकडाउन के जख्म से अर्थव्यवस्था कराह रही है। करोड़ों की संख्या में लोगों के काम धंधे छूट गए हैं। अभी कुछ बेहतर की उम्मीद भी नहीं दिख रही है। ऐसे हालात ने नोटबंदी पर बहस तेज कर दी है।
कांग्रेस ने दिन भर डेमो डिजास्टर का मूवमेंट चलाया। पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने अपने वीडियो मैसेजेज सोशल मीडिया पर शेयर किए। तो वहीं बीजेपी ने नोटबंदी को वरदान बताते हुए कई सारी संबंधित जानकारियां शेयर की। देश में डिजीटल पेमेंट ने जिस व्यापक स्तर पर जगह बनाई है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बीजेपी नोटबंदी को बता रही है। अक्टूबर 2020 में 207.16 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन देश में हुआ। एनपीसीआई के मुताबिक अबतक 35 लाख करोड़ रुपए तक का यूपीआई ट्रांजेक्शन देश में हो चुका है। 189 बैंक यूपीआई की सुविधा से जुड़ चुके हैं। रियल स्टेट सेक्टर ज्यादा पारदर्शी हो चुका है। डायरेक्ट टैक्स का कलेक्शन बढ़ा। कश्मीर में पत्थरबाजी और नक्सलवाद पर नकेल लगी। राजनैतिक पार्टियों के 2000 रुपए से अधिक चंदे बैंक या इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए देने की व्यवस्था बनी। कॉरपोरेट टैक्स रिटर्न में 35 प्रतिशत का इजाफा। जो लोग टैक्स रिटर्न नहीं फाइल कर रहे थे उन्होंने नोटबंदी के बाद सरकारी खजाने में 13 हजार करोड़ रुपए जमा करवाए।