दिल्ली में कोरोना के गिरते ग्राफ के साथ तेज हो चला है सियासी घमासान। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच जमकर जारी है जुबानी जंग। हर कोई इस गिरते ग्राफ का श्रेय लेने में जुटा है। बीजेपी ने बकायद पोस्टर जारी कर दिल्ली में बढ़ते कोरोना पर कंट्रोल लगाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया गया है। दावा किया गया है कि दिल्ली में रिकवरी रेट 88 प्रतिशत तक पहुंचा ये मोदी सरकार के नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह के कमान संभालने के बाद ही संभव हो सका।
ऐसे में आम आदमी पार्टी कहां चुप बैठने वाली थी। सोशल मीडिया पर श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई। कोरोना फतह में सफल ‘दिल्ली मॉडल’ का सारा क्रेडिट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम करने की होड़ सी लग गई। हालांकि मुख्यमंत्री केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपनी तरफ से लगातार कहते दिखे कि ये केन्द्र सरकार के सहयोग से ही संभव हो पाया है। लेकिन सियासत तो दोनों को ही करनी है। आप पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने तो बकायदा वीडियो जारी करके अरविंद केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ के कसीदे पढ़े। दमदार तरीके से दोहराया की आज दिल्ली सरकार के कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के तरीकों को देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनाने की दिशा में काम हो रहा है।
पार्टियां सियासी हैं तो जाहिर है कि सियासत तो करेंगे ही। लेकिन इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि जिस तरह दिल्ली सरकार की तरफ से चिंता जाहिर की जा रही थी कि जुलाई तक कोरोना केस साढ़े पांच लाख तक बढ़ सकते हैं और फिर गृहमंत्री अमित शाह की एंट्री हुई, उन्होंने सभी के साथ बैठक की, टेस्टिंग व कोरोना बेड बढ़ाने की दिशा में जमकर काम किया। इन सब के बीच मुख्यमंत्री भी काफी सक्रीय नजर आए। उसके बाद ही तेजी से सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे। मतलब साफ है कि आज अगर दिल्ली में कोरोना की पकड़ ढ़ीली हुई है तो ये केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों के सम्मिलित योगदान से ही संभव हो सका है। किसी एक के हक में करके इस जीत को देखना दूसरे की ईमानदार कोशिश को नजरअंदाज करने जैसा होगा।