माना कि आप शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का पुराने एनजीओ के समय का अनुभव इस दिशा में अच्छे परिणाम भी ला रहा है। लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि अब आप एक राजनैतिक पार्टी हैं जो सत्ता में आती ही इसलिए है कि जनता की सेवा कर सके, अच्छे लोकहित के काम कर सके। लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप हर चीज का राजनीतिकरण कर दें। स्कूल को बेहतर बनाना सरकार का उत्तरदायित्व है। लेकिन काम के बदले में शिक्षा केंद्रों को पार्टी प्रचार केंद्र में तब्दील कर देना किसी भी लिहाज से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
मुखर्जीनगर के नेहरूविहार स्थित स्कूल की दीवारें तो कुछ यही बयां कर रही हैं। यहां के हालात देखकर तो यही लगता है कि आम आदमी पार्टी अपने काम के प्रचार में कहीं कोई कमी नहीं रहने देना चाहती। उस जगह की पवित्रता, सम्मान उसके लिए कोई मायने नहीं रखती। जिस तरह से स्कूल के मुख्यद्वार पर लगे स्कूल के नाम वाले बोर्ड के उपर ही नेताओं के पोस्टर लगा दिए गए हैं, बेहद गैरजिम्मेदाराना है। ये एक तरह से स्कूल के सम्मान के साथ खिलवाड़ है। स्थानीय नेताओं के पोस्टरों को लगाने के लिए स्कूल परिसर का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी की उस अलग पहचान को भी धूमिल करती है जिसके दम पर अलग किस्म की राजनीति का दावा पार्टी करती रही है।
जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की भी बनती है कि वो स्कूल की पहचान एक राजनीतिक केंद्र के रूप में ना बनने दे। कम से कम से स्कूलों को इस तरह से राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए। समाजिक मर्यादा के साथ साथ स्कूलों में आने वाले बच्चों पर इसके बुरे प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता।