कोरोना की तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की जा रही है। बताया जा रहा है कि 6 से 8 हफ्ते के बाद कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। इसे लेकर सरकारें अपनी तैयारियों के बारे में बता रही हैं। लेकिन कोरोना के अभी तक के अनुभव, विशेषकर दूसरी लहर के दौरान हम सब सरकारी व्यवस्था को बुरी तरह लड़खड़ाते देख चुके हैं। ऐसे में बड़ी राहत देने का काम करते रहे हैं समाज के मददगार लोग। जिन्होंने अपनी जान माल की परवाह किए बिना लोगों की मदद की। लोगों की जान बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने वालों की खबर मिलती रही है। ऐसे लोगों की वजह से लाखों लोगों को लाभ मिला। इस महामारी के दौर में जब भी, जिस भी तरह की जरूरत लोगों ने महसूस की, इन मददगारों ने उसकी व्यवस्था करके उन जरूरतमंद लोगों को वो चीज उपलब्ध करवाई।
कोरोना की पहली लहर में जब सरकारों को कुछ नहीं सूझ रहा था। मुंबई का एक दूसरे स्तर का अभिनेता मसीहा बन कर उभरा। ये छोटी बात नहीं। देश की आर्थिक राजधानी में जहां देश के सबसे ज्यादा पैसे वाले लोग रहते हैं। बड़े बड़े स्टार रहते हैं। जहां की राजनीति में कई ऐसे चेहरे हैं जिनकी पहचान ही मराठा गौरव का गुणगान, हिन्दुत्व पर दावेदारी, कुल मिलाकर कहें तो दंबगई के दम पर ही बुनी गई है, सब के सब घर में छुपे बैठे थे। गरीब, मजबूर और वो मजदूर जो मुबंई के हांथ पांव रहे, सड़कों पर सहारे की तलाश में भटक रहे थे। तब सोनू सूद सामने आते हैं। गाड़ियों की व्यवस्था करवाते हैं। सब को सही सलामत उनके गांव घर पहुंचवाते हैं।
दूसरी लहर में भी देश के कोने कोने में मुसीबत में फंसे लोगों को सरकार से पहले सोनू सूद की ही याद आई। एक ऐसा केंद्रीय नेटवर्क जो आज तक सरकार नहीं तैयार कर पाई, सोनू ने तैयार कर दिया, जिसके सहारे देश के कोने कोने से लोग अपनी परेशानी तुरंत सोनू सूद तक पहुंचा देते हैं, और फिर सोनू और उनकी टीम के लोग उस परेशानी को दूर करने में जुट जाते हैं।
दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में भी कई नाम सामने आए जो उस विषम परिस्थिति में भी लोगों को हर तरह की मदद पहुंचाते रहे। कुछ जिनके बारे में हम जान पाए उनमें से बीजेपी के गौतम गंभीर, कांग्रेस के श्रीनिवास बीवी, आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे और इमरान हुसैन जैसे लोग प्रमुख रहे। बहुत सारे ऐसे लोग भी रहे जिन्हें हम नहीं जानते, जो चुपचाप अपने सामर्थ्य के अनुसार लोगों तक मदद पहुंचाते रहे। कहना गलत नहीं होगा कि लोगों की मदद करने के साथ साथ वे सारे लोग सरकारों के काम का बोझ कम करते रहे।
इसी तरह देश भर में कई चेहरे इस महामारी के दौरान सामने आए जिन्होंने बढ़-चढ़ कर लोगों की मदद की। उनकी जान बचाई। उन्हें दवा, ऑक्सीजन, एंबुलेंस, मरीजों और उनके परिजनों के लिए खाने, रहने की व्यवस्था और यहां तक की अंतिम संस्कार तक का प्रबंध किया। उनके योगदान को बिल्कुल भी कम करके नहीं आंका जा सकता। सरकार की व्यवस्था रही है, इससे इंकार नहीं, लेकिन इस तरह के लोग मसीहा की तरह हैं। इनकी मदद की वजह से ही लाखों लोग आज जिंदा है, सही सलामत हैं। हमें उनके योगदान को सम्मान देना चाहिए।
लेकिन कुछ लोगों की गलत हरकतों की वजह से आज इस तरह के बड़े मददगार पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं। कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। ये बहुत दुखद है। मुसीबत के समय में भी लोग जमाखोरी, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी करने लग जाते हैं। उन्हें रोकने में बाजार को नियंत्रित करने वाली सरकारी संस्थाएं और पुलिसिया तंत्र बिल्कुल नाकाम दिखने लगता है। इन चीजों का देश आदी हो चुका है। लेकिन जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद सियासी हित साधने के चक्कर में समाज में मसीहा की छवि वाले लोगों को टारगेट किया गया वो बेहद दुखद रहा। ये उन सारे लोगों का मनोबल तोड़ने वाला है जो मुसीबत के समय मदद के लिए उठ खड़े होते हैं।
इसलिए जरूरी है कि सरकार तीसरी लहर की चेतावनी के साथ मददगारों के लिए भी गाइडलाइंस जारी कर दे। ये ध्यान रखा जाए कि उसमें ज्यादा उलझन ना हो, नहीं तो तय मानिए इन मददगारों का पीछे हटना, सरकारों की चुनौती को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला होगा।