पंडित चरनजीत
मूलांक कैसे ज्ञात करेः मूलांक व्यक्ति के जन्म का दिनांक होता है, यदि यह दो अंकों में हो तो उसे जोड़ कर जो संख्या आती है वही मूलांक कहलाता है।
- 1, 10, 19, 28 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 1 होगा।
- 2,11, 20, 29 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 2 होगा।
- 3, 12, 21, 30 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 3 होगा।
- 4, 13, 22, 31 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 4 होगा।
- 5, 14, 23 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 5 होगा।
- 6, 15, 24 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 6 होगा।
- 7, 16, 25 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 7 होगा।
- 8, 17, 26 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 8 होगा।
- 9, 18, 27 तारीख को जन्में व्यक्ति का मूल अंक 9 होगा।
मूलांक व्यक्ति के जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। आइए जाने कि विभिन्न मूलांक वालों को किन रोगों के आक्रमण हो सकते हैं तथा उनसे बचाव के क्या उपाय हैं।
मूलांक – 1
रोगः हृदयाघात, सिरदर्द, दांत संबंधी रोग, नेत्र रोग, बुढ़ापे में कम सुनाई देना।
क्या करेः उगते सूर्य को जल चढ़ाएं, रविवार का व्रत करें, बिना नमक का भोजन करें।
रंगः पीला, सुनहरा, हल्का भूरा, नांरगी, लाल। काले रंग से बचें।
रत्नः ढ़ाई रत्ती या उससे अधिक का माणिक्य सोने या तांबे में रविवार को धारण करें। माणिक्य के स्थान पर सूर्यमणि भी धारण की जा सकती है।
मूलांक – 2
रोगः मंदाग्नि, मानसिक दुर्बलता, अनिंद्रा, फेफड़ों संबंधी रोग आदि।
क्या करेः शिव की नित्य उपासना करें।
रंगः हल्का हरा, अंगूरी, दूधिया सफेद, क्रीमी।
रत्नः चार रत्ती या उससे अधिक वजन का मोती सोमवार को धारण करें। मोती के स्थान पर चन्द्रकांत मणि भी धारण की जा सकती हैं।
मूलांक – 3
रोगः हड्डीयों का दर्द, गले का रोग, शुगर, गैस, घुटनों एवं पीठ का दर्द आदि।
क्या करेः विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूर्णिमा और गुरुवार व्रत करें।
रंगः पीला, गुलाबी, हल्का जामुनी, सफेद।
रत्नः साढ़े पांच रत्ती का पुखराज या सुनैला गुरुवार को पहने।
मूलांक – 4
रोगः खून की कमी, सिरदर्द, पीठदर्द, नेत्र रोग, टांग में चोट, अपच आदि।
क्या करेः गणेश जी की आराधना करें। गणेश चतुर्थी का व्रत करें।
रंगः नीला, भूरा, धूप-छांव। यदि अंक चार अशुभ है तो नीले वस्त्र न पहनें।
रत्नः साढ़े छह रत्ती का गोमेद पंच धातु की अंगुठी में वुधवार को धारण करें।
मूलांक – 5
रोगः जुकाम, नजला, याददाश्त बिगड़ना, नेत्र रोग, अपच, हाथों में दर्द, कन्धों में दर्द, सिर दर्द, लकवा आदि।
क्या करेः गणेश जी की उपासना करें।
रंगः हल्का भूरा, हल्का हरा, सफेद। गहरे रंगों से बचें।
रत्नः तीन रत्ती से अधिक का पन्ना वुधवार को धारण करें।
मूलांक – 6
रोगः फेफड़ों के रोग, मूत्र- विकार, गला और नाक के रोग, शुगर, पथरी, गुप्त रोग, गुर्दे संबंधी रोग।
क्या करेः शुक्रवार का व्रत करें।
रंगः हल्का नीला, गुलाबी, सफेद। गहरे बैंगनी और काले रंग से बचें।
रत्नः ढ़ाई रत्ती का हीरा या इसका उपरत्न शुक्रवार चांदी में पहनें।
मूलांक – 7
रोगः चर्म रोग, मानसिक रोग, थकावट, अपच, नेत्र रोग, उल्टी – दस्त, रक्तचाप विकार, सिरदर्द, फेंफड़ों संबंधी रोग।
क्या करेः हनुमान जी की उपासना करें।
रंगः सफेद, गुलाबी, हल्का हरा, काले रंग से बचें।
रत्नः सवा छह रत्ती का लहसुनिया पंच धातु या चांदी में मंगलवार को धारण करें। मोती भी पहन सकते हैं।
मूलांक – 8
रोगः लीवर संबंधी रोग, मानसिक रोग, दुर्घटनाएं, आंतरिक चोटें, जोड़ों का दर्द, अपच, रक्त-विकार आदि।
क्या करेः शनि की उपासना करें।
रंगः काला, नीला, गहरा भूरा, बैंगनी।
रत्नः सवा चार रत्ती का नीलम या नीली सोने में शनिवार को धारण करें।
पंच धातु या काले घोड़े की नाल की अंगूठी भी पहनी जा सकती है।
मूलांक – 9
रोगः मांसपेशियों के रोग, दुर्घटनाएं, रक्तविकार, सिरदर्द, दांत दर्द, गुप्त रोग, मूत्र रोग, मस्सा (पाइल्स) आदि।
क्या करेः हनुमान जी की उपासना करें।
रंगः लाल (रक्त जैसा), गहरा गुलाबी। लाल रुमाल पास रखें।
रत्नः पांच रत्ती का मूंगा सोने में मंगलवार को पहनें। इसके अभाव में उपरत्न लाल हकीक चांदी में पहन सकते हैं।