बार-बार, एक बार फिर दिल्ली नॉर्थ एमसीसी के कर्मचारी अपनी बकाया सैलरी को लेकर आंदोलन करने के लिए बाध्य हुए। दिल्ली म्यूनिसिपल वर्कर्स यूनियन मुखर्जी जोन के कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले पांच महीने से इन्हें सैलरी नहीं मिल रही है। कर्मचारियों को घर चलाना मुश्किल हो गया है। जिसने किसी कारणवश लोन ले रखा है, उनकी हालत तो और भी बुरी है। किस्त की आने वाली नोटिसों ने नींद खराब की हुई है।
दिनों दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शहर में गंदगी बढ़ती जा रही है। आगामी एमसीडी चुनाव से पहले हालात सुधरने के आसार भी नहीं नजर आ रहे। न तो आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार मानने को तैयार है और न ही भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी। दोनों ही इस आर्थिक संकट के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बीच में पीस रहे हैं एमसीडी के कर्मचारी और साथ में दिल्ली की जनता। कोरोना महामारी के बीच इस तरह कर्मचारियों पर छाया सैलरी संकट शहर की मुसीबत बढ़ा रही है। पिछले 6-7 दिनों से साफ सफाई का काम ठप पड़ा है। सड़कों पर कूड़ा इकट्ठा होता जा रहा है। हर तरफ गंदगी और बदबू फैली है। सड़कों पर झाड़ू तक लगने बंद हो गए हैं।
कोरोना महामारी के महासंकट के समय ये गंदगी ज्यादा डराने वाली है। लेकिन बीजेपी और आम आदमी पार्टी, दोनों ही सियासी दलों की दिल्ली के इस दर्द से बेरूखी हैरान करने वाली है।