आइए अपने सांसों के लिए आंदोलन करते हैं !
पर्यावरण दिवस के मौके पर आपने दिल्ली के कई नेताओं को पौधा लगाते हुए देखा होगा, पर्यावरण पर बड़ी-बड़ी बातें और वादें करते देखे होंगे, लेकिन मान कर चलिए, ये बस झूठी बयानबाजी है, या महज खानापूर्ति है और कुछ नहीं। क्योंकि वो दिल्ली के पर्यावरण से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या के बारे में या तो नहीं जानते, ध्यान नहीं दिया, या फिर नहीं बोलने के पीछे उनकी कोई बड़ी बाध्यता है। बड़ी बाध्यता है, ये तो समझ कर ही चलिए, क्योंकि समस्या ही इतनी बड़ी है कि उसके समाधान की बात करना मतलब करोड़ों का बजट, जिसे पूरा करना सामान्य परिस्थितियों में संभव करना कोई भी सरकार नहीं चाहती। जब तक ये एक जन आंदोलन का रूप ना ले ले।
समय आ गया है कि अब देश की राजधानी की जनता अपने सुंदर शहर के सबसे बड़े कलंक को दूर करने की मुहिम चलाए। गूगल अर्थ पर जाकर जब अपनी दिल्ली को निहारते हैं तो बीचोंबीच जो काली रेखा दिखती है वही है दिल्ली के चेहरे पर लगा काला धब्बा। शहर की सबसे बड़ी पर्यावरण की समस्या। शहर का सबसे बड़ा खुला नाला। जो दक्षिण पश्चिम स्थित नजफगढ़ से शुरू होकर, शहर के बीच से गुजरते हुए उत्तर पूर्व स्थित वजीराबाद के पास यमुना में मिलता है। साथ लिए चलता है दिल्ली ही नहीं हरियाणा की गंदगी। परोसते चलता है दमघोंटू बदबू, जहरीली हवा पूरे दिल्ली के लोगों को। जिसकी वजह से पास बसने वाली बड़ी आबादी देश की राजधानी में अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है। लोगों के फेंफड़े खराब हो जाते हैं। लोगों को सांस की बीमारी बहुत आम बात है। लोगों के घरों के महंगे इलैक्ट्रॉनिक समान खराब हो जाते हैं। नाले से निकलने वाली जहरीली गैस टीवी, एसी तक खराब कर देती है। हर साल एसी की पाइपों में सुराख कर जाती है ये गैस। सोचने वाली बात है कि लोगों के अंदरूनी अंगों का क्या हाल होता करती होगी।
वहीं दूसरी तरफ यमुना को गंदा करने में भी इसकी सबसे बड़ी भूमिका है।, संबंधित शोध बताते हैं कि यमुना की गंदगी में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी इस नाले की है। तय है कि जब तक इतने बड़े खुले नाले को लेकर बड़ा फैसला नहीं किया जाता तब तक साफ यमुना की बात करना भी बेमानी है। लेकिन नेता बात कर रहे हैं। हर साल नए नए वादे कर रहे हैं। करोड़ों खर्च कर रहे हैं। पब्लिक कभी उनसे नाले से जुड़ा कोई बड़ा प्लान नहीं सुनती। नाले के पानी को साफ कर यमुना में डालने की चर्चा भी बस चल ही रही है। सब चल रहा है। सच्चे अर्थों में कोई दिल्ली शहर की, यहां इस नाले के दोनों तरफ रहने वाली बड़ी आबादी के जीवन की, उसके सेहत की परवाह करते नहीं दिखता। कोई इस नाले को ढ़कने या अंडरग्राउंड करने की बात नहीं करता।
ये चलता ही रहेगा, जब तक दिल्ली वाले इसे लेकर आवाज बुलंद नहीं करेंगे। अपनी सेहत, अपने फेफड़ों की रक्षा के लिए एकजुट नहीं होंगे। सत्ता में बैठे लोगों को अपने होने का एहसास नहीं करवाएंगे। देश इस वक्त कोरोना महामारी के बुरे दौर से गुजर रहा है। तन्दुरूस्त फेफड़ों के अहमियत को अभी-अभी सभी दिल्ली वालों ने बखूबी समझा है। अब समय आ गया है कि दिल्ली के इस कलंक को मिटाने के लिए बड़ी मुहिम चलाई जाए। 9810549941- इस वाट्सएप नंबर पर मैसेज करें, अपनी बात रखें। जनता की आवाज से ही जागेगी सरकार। आइए अपने सांसों और सुंदर दिल्ली के लिए आंदोलन करते हैं।