–आचार्य प्रमोद मिश्रा–
किसी भी लड़का या लड़की के विवाह में देरी कि वे कौन से कारण हैं? जिनके कारण जातक या जातिका का विवाह समय पर नहीं हो पाता है? और जातक जातिका के माता-पिता इसे लेकर बहुत ही कुंठित व दुखी होते हैं। तो आइए जानते हैं विवाह में देरी के प्रमुख कारण, यद्पि ज्योतिष शास्त्र में अनेकों ऐसे कारण हैं जो जातक जातिका के विवाह में देरी कराते हैं किंतु ज्योतिष शास्त्र के प्रमुख जो कारण है उनका विवेचन यहां पर प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस प्रकार है।
1- जातक या जातिका के विवाह में देरी का सबसे प्रमुख कारण ज्योतिष शास्त्र में जातक जातिका का मांगलिक होना होता है। अर्थात यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल 1,4,7,8 और 12 भाव में विद्यमान हो उस स्थिति में वह मांगलिक योग का निर्माण होता है और मांगलिक जातक का विवाह मांगलिक जातिका के साथ ही किया जाता है। जिससे दोनों की जन्म कुंडली में मांगलिक योग होने से दोनों के दांपत्य जीवन में समरसता उत्पन्न हो जाती है अन्यथा अगर एक मांगलिक और दूसरा अमांगलिक हो उससे उनके दांपत्य जीवन में बिखराव बना रहता है। इस प्रकार मांगलिक दोष के जातक जातिका का विवाह संभवत देरी से ही होता है।
2- जातक के विवाह में देरी का दूसरा प्रमुख कारण जातक की जन्म कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी का बलहीन होना होता है। अर्थात यदि जन्म कुण्डली मे सप्तम भाव का स्वामी पाप ग्रह हो अथवा शुभ ग्रह होकर भी अंशो की दृष्टि से कम अंशो में हो अथवा 6, 8, 12 भाव में विद्यमान हो या नीच राशि में विद्यमान हो उस स्थिति में वह जातक के विवाह में देरी का कारण होता है।
3- इस प्रकार जातक के विवाह में देरी का प्रमुख तीसरा कारण जन्म कुंडली में गुरुदेव बृहस्पति का बल हीन होना होता है। अर्थात यदि जन्म कुंडली में बृहस्पति 6 ,8 ,12 भाव में विद्यमान हो अथवा नीच राशि में विद्यमान हो अथवा सूर्य के अत्यधिक समीप होकर के अस्त हो अथवा अधिक पाप ग्रहों से दृष्ट हो उस स्थिति में गुरु बल हीन होने के कारण जातक के विवाह में देरी का कारण बनते हैं क्योंकि गुरु विशेषकर स्त्री के विवाह के कारक होते हैं।
4- विवाह में देरी का चौथा प्रमुख कारण जन्म कुंडली में शुक्र का बलहीन होना होता है क्योंकि यदि जन्म कुंडली में शुक्र पाप भाव में विद्यमान हो अथवा पाप ग्रहों से दृष्ट हो या कम अंश में हो या नीचे या शत्रु राशि में विद्यमान हो उस स्थिति में भी शुक्र विवाह में देरी का कारण बनते हैं। क्योंकि विशेषकर पुरुष के लिए शुक्र विवाह के प्रमुख कारक ग्रह होते हैं।
5- विवाह में देरी का पंचम प्रमुख का कारण ज्ञात करने के लिए हम जातक /जातिका की नवमांश कुंडली का अध्ययन करते हैं यदि नवमांश कुंडली में सप्तम भाव की स्थिति अच्छी नहीं हो तो उस स्थिति में भी विवाह देरी से होता है क्योंकि जातक/ जातिका की नवमांश कुंडली के द्वारा ही हम विवाह संबंधी सूक्ष्म विवेचन प्राप्त कर सकते हैं।
विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के सरल उपाय
इस प्रकार हम सामान्य रूप से किसी भी जातक / जातिका की जन्म कुंडली को देख कर के जन्म कुंडली अध्ययन से विवाह में आ रही बाधाएं या विवाह में देरी के कारणों को ज्ञात कर सकते है। और उन विवाह में देरी के कारण के कारक तत्वों का समुचित उपाय करके इस समस्या से निजात प्राप्त किया जा सकता है।
1- यदि जन्म कुंडली में विवाह में देरी का कारण मांगलिक दोष होता है तो मांगलिक दोष निवारण उपाय हमें करना चाहिए। इसके लिए हम –
(क) प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं।
(ख) प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के सिंदूर चढ़ावे।
(ग) मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
2- जन्म कुंडली में यदि सप्तमेश विवाह में देरी का कारण हो उस स्थिति में हमें सप्तमेश को बल प्रदान करने के ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए। जिसके लिए हम रत्नादि धारण कर सकते हैं।
3- विवाह में देरी का कारण यदि गुरु हो उस स्थिति में हमें निम्न उपाय करने चाहिए
(क) हमें 12 गुरुवार का व्रत करना चाहिए। तथा संकल्प लेकर के व्रत करें और पीला ही भोजन करें पीले वस्त्रधारण करें और भगवान बृहस्पति की कथा का श्रवण करें। केला की पूजा करें और सात्विक भाव के साथ मन में बिना विकार लाए मन कर्म से व्रत करें।
(ख) नहाने के जल में एक चम्मच हल्दी डालकर के स्नान करे। पुखराज रत्न धारण करें।
4- विवाह में देरी के कारण यदि जन्म कुंडली में शुक्र हो उसी स्थिति में हमें शुक्र को बल प्रदान करने के उपाय करने चाहिए।
(क) शुक्रवार का व्रत करें।
(ख) शुक्र रत्न हीरा धारण करें।
(ग) भगवान विष्णु की स्तुति करें।
5- इसी प्रकार यदि नवमांश कुंडली में जातक/ जातिका का सप्तमेश बलहीन हो तो उसको बल प्रदान करने के ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए।
आचार्य प्रमोद मिश्रा से संपर्क कर सकते हैं। उनका मोबाइल नंबर – 9310009920 है।