दिल्ली में जारी किसान आंदोलन धीरे धीरे जोर पकड़ता जा रहा है। किसानों के समर्थन में बारी बारी से विपक्षी सियासी दल साथ आते जा रहे हैं। उनकी आवाज बुलंद कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी देश की जनता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से किसानों की सेवा और समर्थन का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है। देश की शक्ति किसान है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों किसान सड़कों है..हजारों किलोमीटर दूर से चलकर क्यों आ रहा है..ट्रैफिक क्यों रोक रहा है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि ये तीन कानून किसान के हित में है। अगर ये कानून किसान के हित में है तो किसान इतना गुस्सा क्यों है..किसान खुश क्यों नहीं है?
राहुल गांधी लंबे समय से मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल यह कानून नरेंद्र मोदी के दो-तीन पूंजीपति मित्रों के लिए है। ये कानून किसान से चोरी करने के कानून हैं। इसलिए हम सब को मिलकर हिन्दुस्तान की शक्ति के साथ खड़ा होना पड़ेगा। किसान के साथ खड़ा होना पड़ेगा।
अपने तीखे तल्ख तेवर के लिए पहचाने जाने वाले कांग्रेस के जेनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मन की बात में कहे गए मक्का किसानों की बदहाली की ही पोल खोल कर रख दी। उन्होंने बताया कि मक्का का समर्थन मूल्य निर्धारित है 1850 रुपए प्रति क्विंटल, जबकि हकीकत यह है कि पूरे देश में किसानों को 800 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा का रेट नहीं मिल रहा है। और तो और जब देश का किसान अपना मक्का बाजार में बेचने के लिए ले जा रहा था तभी केंद्र सरकार की तरफ से इंपोर्ट ड्यूटी 50 प्रतिशत से घटा कर 15 प्रतिशत कर दिया गया और 5 लाख मिट्रिक टन सस्ता मक्का विदेश से मंगाया गया। यह पूंजीपतियों के साथ मिलकर किया षड्यंत्र नहीं तो और क्या है?
किसानों के समर्थन में कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर #स्पीकअपफॉरफार्मर्स मूवमेंट भी चलाया। जिसमें देशभर के कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस किसान आंदोलन से जुड़े अपने विचार साझा किए। दिल्ली कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक दत्त कहते हैं –
“किसानों से अब कहां वो मुलाकात करते हैं,
बस रोज नए ख्याबों की बात करते हैं।“
राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा अपनी बात शुरू करते हुए कहते हैं –
“जो सेहत देता दूजों को, खतरे में उसकी जान है क्यों
जो सबकी पूरी करे जरूरत, अधूरे उसके अरमान हैं क्यों”
उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है कि देश का किसान परेशान क्यों है?
आज भारत के बासठ करोड़ किसान आक्रोशित हैं। दिल्ली के बाहर लाखों किसान जमा हो गए हैं, इंतजार कर रहे हैं कि दिल्ली के बड़े बड़े दरवाजे उनके लिए खुलें। लेकिन पिछले छह सालों का अनुभव है, किसान जब भी दिल्ली की तरफ कूच करता है दिल्ली अपने दरवाजे बंद कर देती है। अब उनके सामने शर्तें रखी जा रही हैं, उनपर लांछन लगाए जा रहे हैं, उनकों आतंकी कहा जा रहा है। देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छात्रों को, युवाओं को, बुद्धिजीवियों को, सिनेमा जगत के कलाकारों को, किसी को नहीं बख्शा है, सब पर कोई न कोई तमगा जरूर लगा दिया गया है। लेकिन किसानों को बख्श दीजिए। ये देश माफ नहीं करेगा।
पवन खेड़ा यही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे दिखाना चाह रही है जैसे वो किसान से ज्यादा किसान का हित समझती है। जबकि ये वो किसान है जो आसमान देखकर तय कर लेता है कि कब फसल लगानी है, कब खाद देना है, कब पानी देना है? कम से कम उसके भविष्य का निर्धारण करने से पहले उससे चर्चा तो करनी चाहिए।