देश की राजधानी की एक सबसे शर्मनाक पहचान रही है यहां पेयजल की बेहद सीमित उपलब्धता। तकरीबन सारी दिल्ली में सुबह और शाम सिर्फ दो घंटे के लिए पानी की सप्लाई सालों से होती रही है। कहने के लिए दो घंटे की अवधि निर्धारित है। शायद ही कभी पूरे दो घंटे के लिए फ्लो बना रहता हो। गर्मी के दिनों में तो हालात बहुत ही बिगड़ जाते हैं। बड़ी मुश्किल से अगर जरूरत के लिए पूरा पानी मिल जाए तो दिन शुभ माना जाता है। इस मामले में जल बोर्ड किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करता है। सारे ही इलाके..सस्ते मंहगे, छोटे बड़े सभी जगहों पर कमोबेश यही हालात बने रहते हैं। कुछ इलाकों में तो लोग बताते हैं कि सारी सारी रात पानी के इंतजार में परिवार के एक सदस्य को जगना पड़ता है। कोई भी नया परिवार दिल्ली आता है तो उसके लिए पानी जमा करना सबसे बड़ी चुनौती बनती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह का आश्वासन दिया है कि वे दिल्ली में 24 घंटे पानी की उपलब्धता की दिशा में काम कर रहे हैं। कंसल्टेंट की नियुक्ति की जा रही है जो इस की पूरी प्लानिंग पर काम करेंगे। एक एक बूंद को सहेजा जाएगा। वाटर मैनेजमेंट को आधुनिक बनाया जाएगा। पूरी दिल्ली में पानी का पूरा प्रेशर रहेगा। किसी को भी मोटर या टंकी लगाने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने विकसित देशों की राजधानियों का जिक्र किया है कि जिस तरह वहां होता है वैसी व्यवस्था यहां शुरू की जा रही है। जिससे नल खोलते ही पानी मिलने लगेगा।
यकीन मानिए किसी भी दिल्ली वाले को यह सब एक सुनहरे सपने की तरह ही लग रहा होगा। हालांकि विपक्ष इसे हवाहवाई ही बता रहे हैं। लेकिन पानी को पाने के लिए जिस तरह की मानसिक पीड़ा का सामना पिछले न जाने कितने सालों से दिल्ली वाले कर रहे हैं, उनके लिए यह बहुत ही सुखद अनुभव होगा। और यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल इस काम को पूरा कर ले जाते हैं तो ये किसी सियासी जलजले से कम नहीं साबित होगा, जो विपक्षी पार्टियों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।