दिल्ली की जुबानी..डॉक्टरों की दर्द भरी कहानी
रहस्य गहराया है किसने किसका कितना पैसा दबाया है..किसने पैसा उड़ाया है किसने गलत बात फैलाया है…कोई तो इस गुत्थी को सुलझाओ। थक गई है दिल्ली दिमाग लगा लगा कर..पहले बेचारे गरीब सफाई कर्मचारियों को देखा सड़कों पर…अब सम्मानित डॉक्टरों को देख रही है..सैलरी दो..सैलरी दो के नारे लगाते हुए। कलेजा मुंह को आता है..सब को पता है कि यही डॉक्टर तो जान बचाता है। कोरोना वायरस से जंग जारी है। बोफोर्स और राफेल सब बेकार है। इस जंग में सबसे आगे इन्हीं डॉक्टरों और नर्सों की फौज तैनात है..इतनी सी बात तो समझो सरकार।
डॉक्टर और सफाई वाले कहते हैं कि एमसीडी के नेता लोग उनका पैसा दबाए बैठे हैं। तो एमसीडी कहती है कि दिल्ली सरकार उनका बकाया पैसा जबरन नहीं दे रही। दिल्ली सरकार कहती है कि उसे किसी को पैसे नहीं देने..कागज सबके पास है।
एमसीडी भ्रष्ट है..इसमें कौन सी नई बात है जो सीएम केजरीवाल दिल्ली वालों को बार बार बताते हैं..रह रह कर समझाते हैं। चलिए मान ली आप की बात अब तो एमसीडी का बकाया पैसे दे दो सरकार। साल 2022 के पहले कुछ होने को तो है नहीं। आगे है टाइम आपके पास पर्याप्त..कम से कम कोरोना को तो जाने दो यार।
एमसीडी के नेता लोग भी समझे इस बात को..कोरोना जब देश के सबसे ताकतवर नेता..गृहमंत्री अमित शाह को नहीं बख्श रहा..तो आपकी क्या है बिसात। कौन कब कैसे इसकी चपेट में आएगा..किसकी कौन सी छिपी बीमारी घातक करार दी जाएगी..कोई नहीं जानता। कम से कम से कोरोना काल में तो प्राथमिकता सही तरीके से तय कर लो। माना कि गलत तरीके से आए पैसे को सही चार्ट में नहीं चढ़ा सकते। लेकिन समय की नजाकत तो समझ ही सकते हैं। डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और सफाई वालों को तो इस महामारी के समय खुश रख सकते हैं। आईसीयू के अंदर किसी दिल्ली पुलिस वाले की सेटिंग काम नहीं आएगी। वहां तो बस इन डॉक्टरों का ही आसरा है।
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट है। राष्ट्रपति भी यही रहते हैं। केन्द्र की ताकतवर सरकार भी बैठी है। यही से तो न जाने कहां कहां सीबीआई और ईडी को भेज भेज कर क्या क्या खोद कर निकलवा लेते हैं आप। फिर परेशान दिल्ली वालों की इतनी मदद तो कर ही सकते हैं। कौन किसका पैसा दबाए बैठा है..यह सवाल तो बस अब आप ही सुलझा सकते हैं।