आजाद भारत में दिल्ली
24. साल 1977 की जनता सरकार ने निर्णय लिया कि केन्द्र सरकार की हितों की रक्षा करते हुए विशेष प्रावधान वाली विधानसभा दिल्ली को दी जाए। इस उद्देश्य से संसद में दो विधेयक लाए गए। लेकिन छठी लोकसभा के भंग होते ही ये खत्म हो गए।
25. साल 1987 में दिल्ली के लिए उचित संरचना का सुझाव देने के लिए न्यायमूर्ति आर एस सरकारिया की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई।
26. दो साल काम करने के बाद जस्टिस सरकारिया ने इस्तीफा दे दिया। उनके बाद एस बालाकृष्णन ने समिति के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। उन्होंने 14 दिसंबर 1989 को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
27. समिति ने माना कि दिल्ली में आम आदमी के साथ साथ प्रशासन को भी रोज-ब-रोज की समस्याओं के निबटारे के लिए स्थानीय स्तर पर उत्तरदायी और प्रतिनिधित्व वाली सरकार की कमी खलती है।
28. समिति ने स्पष्ट किया था कि दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं केन्द्र सरकार के मंत्रालयों में फंसी रह जाती हैं। इसलिए अगर स्थानीय विधानसभा में जनता के प्रतिनिधियों के लिए जवाबदेह मंत्रिपरिषद होती है तो दिल्ली के लिए योजना निर्णय और विकाम में बाधा नहीं होगी और उस प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता का मतलब उनकी सहमति होगी।
(साभार:एनबीटी – दिल्ली की राज्य व्यवस्था और शासन प्रणाली)