पाठ जो ‘पहलगाम’ ने पढ़ा दिया
पर्यटकों की भीड़ में से पहले पुरुषों को अलग करना..उनसे उनका धर्म पूछना..संशय की स्थिति में उनसे कलमा पढ़वाना..उनकी पैंट उतार कर कन्फर्म करना कि हिन्दू ही है..फिर गोलियों से भून देना..सब कुछ..सबके सामने. पत्नी के सामने पति..बेटे-बेटी के सामने पिता. भावनाओं की समझ रखने वाले समझ सकते हैं..जब परिवार को पिता किसी खास जगह घुमाने ले जाता है..उस वक्त सबसे ज्यादा प्यार उस पति या पिता के लिए उमड़ रहा होता है..ऐसे पलों में पति या पिता को इस तरह मार दिया जाना. उनके बिना परिवार का वापस घर आना. मानव जीवन की ये घटना बहुत बड़ी और बहुत दुखद है. इसका संदेश बहुत बड़ा है.
तय मानिए मानवीय सोच पर पहलगाम में हिन्दुओं के कत्लेआम की घटना का असर हमेशा रहने वाला है..हिंदुओं पर रहने वाला है..हिन्दुस्तान के मुसलमानों पर रहने वाला है.
इस घटना ने हिन्द के मुसलमानों को ये बात तो समझा दी है कि वो अलग हैं. वो पाकिस्तान के मुसलमानों से अलग हैं. वो दुनिया के मुसलमानों से अलग हैं.
धर्म को लेकर जो कट्टरता पाकिस्तान, सीरिया या अफगानिस्तान के मुसलमान दिखा सकते हैं..वो नहीं दिखा सकते हैं. उनकी सोच, उनकी समझ, उनका जमीर इसकी इजाजत नहीं देता है.
हिन्दुस्तान में 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं के बीच..उनके इतने सालों के जीवन ने उनके अंदर ऐसी सोच ही नहीं बनने दी कि वो ऐसी कट्टरता दिखा सकें. जीवन में कट्टरता का पैमाना बहुत कुछ निजी अनुभवों पर भी आधारित होता है. परिवार और समाज के आचार-विचार पर आधारित होता है. राजनीति में मुसलमानों के साथ अन्याय की बात उन्हें उकसाती तो है, सोशल मीडिया पर प्रवाहित कट्टरपंथ उन्हें प्रभावित तो करता है..लेकिन इस सच्चाई को वो कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के मूल स्वभाव में यदि कट्टरपंथ होता तो शायद हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की सूरत ही कुछ और होती. हिन्दुओँ का अलग हिन्दुस्तान जरूर होता.
कहना गलत नहीं होगा..पहलगाम की आतंकी घटना ने हिन्दुस्तान के मुसलमानों को पहचान के गंभीर संकट से उबार दिया है. तभी शायद सड़कों पर ऐसी तस्वीर दिख रही है..जहां मुसलमान बड़ी तादाद में..बुलंद आवाज में पहलगाम में हिन्दुओं के कत्लेआम का विरोध कर रहे हैं. जो दबी आवाज में पाकिस्तान का राग अलापते थे..वो जोर से पाकिस्तान को बुरा बोल रहे हैं. उम्मीद तो यही है..इस पहचान का हिन्दुस्तान के मुसलमानों में विस्तार हो जाए..खासकर जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों की आवाज पाकिस्तान तक ये संदेश जरूर पहुंचाए..हिन्दुस्तान के मुसलमान तो अलग हैं!