ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली के बेलगाम स्कूल वालों पर नकेल कसना साधारण श्रेणी का कार्य नहीं है. स्कूल मैनेजमेंट पर सख्ती के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए सवाल उस पर है. आप मोटेतौर पर देखेंगे तो पाएंगे कि स्कूलों की व्यवस्था को ठीक रखने के लिए नियम-कानून तो पहले से ही पर्याप्त थे, बावजूद इसके सीमित 355 स्कूल ही सही, जो सरकारी जमीन पर बने हैं, उन पर भी किसी सख्त एक्शन के नाम पर बस कुछ गिने-चुने उदाहरण ही दिखते हैं. बहुत सख्त उदाहरण तो बिल्कुल भी नहीं दिखते.
इसके पीछे की वजह को समझना बहुत जरूरी है. समझना होगा क्यों नेताओं और अधिकारियों की इच्छाशक्ति जोर नहीं मार पाती. दिल्ली में सामान्य से थोड़े बेहतर किसी भी स्कूल में बच्चे का नर्सरी में एडमिशन सबसे बड़ी चुनौती है. बच्चे के जन्म से ज्यादा उसके एजुकेशन की चिंता दिल्ली वालों को परेशान कर देती है. इस परेशानी का सामना अमीर, गरीब, छोटे ओहदे वाला, बड़े ओहदे वाला हर दिल्लीवासी करता है. बच्चा हुआ नहीं कि लोग स्कूल एडमिशन की प्लानिंग शुरू कर देते हैं. पैसे खर्च करना, ऊंची पकड़ वाले किसी पहचान वाले की तलाश शुरू कर देते हैं. घूम-फिर कर बात स्कूल प्रशासन तक पहुंच पर आ टिकती है. यही से स्कूल वालों को मनमानी का लाइसेंस मिलता है. जब हर कोई उनका एक फेवर पाने के लिए तरस रहा है तो वो किसी की क्यों सुनें?
किसी भी तरह की दिक्कत से निपटने के लिए उनके पास एडमिशन वाला औजार तो है हीं. आपको जानकर हैरान होगी स्कूल प्रशासन पर सबसे ज्यादा असरदार लोकल थाना माना जाता है. दिल्ली के किसी भी थाने के एसएचओ से पता करेंगे तो पाएंगे कि कितने ही बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों की एडमिशन रिक्वेस्ट उनके पास पहुंचती रहती है. कई स्कूल वाले तो बकायदा दिल्ली पुलिस के लिए कुछ प्वाइंट तक रिजर्व रखते हैं. पार्किंग और ट्रैफिक व्यवस्था स्कूल वालों के लिए बड़ा चैलेंज होता है. इसके काट के लिए स्कूल वाले एडमिशन कार्ड खेलते हैं.
अब जानिए नए स्कूल फीस एक्ट के मसौदे में दिल्ली की रेखा सरकार क्या क्या करने का दावा कर रही है. सरकार कह रही है कि जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में फीस निगरानी समिति बनेगी, जो फीस संबंधी शिकायतों पर सुनवाई करेगी, बात नहीं मानने पर स्कूलों पर एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना लगेगा, गंभीर मामलों में मान्यता रद्द होगा या फिर स्कूल का संचालन सरकार अपने हाथों में ले सकेगी, शो कॉज नोटिस को भी प्रभावी बनाया जाएगा, फीस को लेकर बच्चों से बदसलूकी की स्थिति मानवाधिकार उल्लंघन के तहत कोर्ट में केस चलेगा आदि-आदि.
देखना होगा दिल्ली में जहां स्कूल एडमिशन में एवरेज 10 लाख की डोनेशन देने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी होती है वहां रेखा सरकार की फीस नीति कितनी कारगर साबित होती है?