‘रेवड़ियां’ और दिल्ली की आर्थिक सेहत
चुनावी पिच पर लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी ने अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. खुद पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव जीतने के बाद दिल्ली की हर महिला को 2100 रुपये देंगे. महिला इनकम टैक्स नहीं भरती हो, कम से कम 18 वर्ष की आयु, अनिवार्य रूप से दिल्ली की मतदाता हो, कुछ ऐसी शर्तें हैं जिनके अनुसार महिला को 2100 रुपये हर महीने दिया जायगा. राजनीति के जानकारों का मानना है कि चुनाव के ठीक पहले सरकारों की तरफ से इस तरह की महिलाओं के कल्याण से जुड़ी योजनाओं का ऐलान चुनावी सफलता की गारंटी है. महाराष्ट्र हो, झारखंड हो, महिला वोटरों का फैसला निर्णायक साबित हुआ है..दिल्ली में साबित हो सकता है!
यही बात डराने वाली है. बिजली, पानी के बिल में छूट जैसी कल्याणकारी योजनाओं का आर्थिक बोझ ऑलरेडी दिल्ली सरकार उठा रही है. इसका असर भी दिल्ली में आसानी से देखा जा सकता है. दिल्ली जलबोर्ड हो, दिल्ली परिवहन विभाग हो, एमसीडी हो, पीडब्ल्यूडी हो..हर जगह आर्थिक तंगी वाले हालात है. प्रोजेक्ट की रफ्तार बताती है कि पैसों की दिक्कत है.
रोड, फ्लाईओवल बन रहे हैं तो बन ही रहे हैं. छोटे-छोटे तो कई सारे हैं..बड़े उदाहरण के तौर पर मजनूं के टीले के पास की सड़क चौड़ीकरण का काम देख लीजिए..करीब 5 सालों से ये काम चल रहा है. आगे न जाने कितना समय लगेगा? काम कछुए की रफ्तार से चल रहा है. इसके पीछे भारी भ्रष्टाचार की बात भी सामने आती है. जबकि हाईवे का ये हिस्सा काफी अहम है. हरियाणा, पंजाब को सीधे दिल्ली के आईएसबीटी से कनेक्ट करता है. खासकर सुबह, शाम बहुत ज्यादा ट्रैफिक रहता है. फिर भी लगता ही नहीं किसी को इस बात की कोई परवाह है. शायद यहां भी ठेकेदारों के पेमेंट का मसला अटकता है.
क्योंकि मुखर्जीनगर से सटे नेहरू विहार मे ऐसा ही देखा सुना गया. सड़क का एक हिस्सा बनने में कई साल लग गए. दूसरा अहम हिस्से का बस लेवल ठीक किया गया है. इस हिस्से में सड़क का अता-पता नहीं है. बताया तो जाता रहा कि बीच-बीच में ठेकेदार भाग जाता है. देरी की मूल वजह पेमेंट में अनियमितता ही लगती है.
कई इलाकों में सीवर की समस्या का स्थाई समाधान बहुत खर्चा मांग रहा है. मल्टीलेवल पार्किंग हर मोहल्ले की जरूरत बन चुका है..जिसका बजट काफी ज्यादा है. सीधी सी बात है दिल्ली वालों के जिंदगी को आसान बनाने के लिए पैसा चाहिए. जिस पर संकट साफ दिखता है.
अब ऐसे हालात में जब 2100 रुपये महिलाओं में बांटे जाने लगेंगे तो आगे क्या होगा? आम आदमी पार्टी इतने पर भी नहीं रुकी है. बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना, दलित छात्रों के लिए आंबेडकर छात्रवृति योजना, ऑटो चालकों के लिए कई तरह की योजनाएं..योजनाएं निसंदेह अच्छी हैं लेकिन क्या दिल्ली सरकार इतने ज्यादा खर्च करने में सक्षम है? ये बड़ा सवाल है.
जाहिर सी बात है..सरकार के पास पैसे नहीं बचेंगे तो हालात बिगड़ते जाएंगे. अभी किसी भी काम में इतना समय लग रहा है तो बाद में क्या होगा? शायद ही दिल्ली में कोई बड़ा विकास का प्रोजेक्ट सही तरीके से पाएगा. सोच कर ही डर लगने लगता है..बाद के हालात कैसे होंगे? दिल्ली आगे जाने की बजाए..पीछे खिसकती जाएगी. दिल्ली में रहना कितना मुश्किल हो जाएगा!