राजनीतिक पार्टियों से मांग
दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाने लगा है. राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने घोषणापत्र पर काम शुरू कर दिया है. मुद्दें तलाशे जा रहे हैं. जनसंपर्क जोर पकड़ने लगा है. ये सही वक्त है जब दिल्ली का मध्यम वर्ग अपनी मांगों को आगे रखना शुरू करे. दिल्ली में एक मिडिल क्लास आदमी किस तरह की परेशानियों का सामना करता है? वो अपनी सरकार से किस तरह के मदद की उम्मीद करता है? ये बिल्कुल सही समय है जब इन सवालों पर मंथन शुरू किया जाए.
मैंने कुछ मुद्दे तलाशे हैं. जिन पर काम हो तो दिल्ली का मिडिल क्लास बेहतर महसूस करेगा.
- भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर ‘ट्रैफिक मार्शल’
दिल्ली में एक जगह से दूसरी जगह जाना सबसे बड़ी समस्या बन गई है. हेवी ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है. बसों से चलने वाले परेशान हैं. बाइक वाले भी परेशान हैं. कार वाले ज्यादा परेशान हैं. एक मध्यम वर्ग के आदमी के लिए आज ऑफिस या काम पर जाना-आना बड़ा चैलेंज बन गया है. जीवन में जब पहले से ही समय का अभाव हो तो समस्या और भी बड़ी हो जाती है. अलग-अलग इलाकों में कई ऐसे प्वाइंट हैं, जहां से गुजरना बहुत मुश्किल हो गया है. उदाहरण के तौर पर आप आईएसबीटी का इलाका ले लीजिए. वैसे तो वहां हर वक्त भीड़ रहती है. लेकिन शाम 6 से रात 10 बजे वहां से गुजरना बड़ी चुनौती है. दिल्ली में कई ऐसी जगहें निर्धारित हो गई हैं जहां पर बैटरी, ऑटो रिक्शा वालों का जमावड़ा रहता है. वहां से गुजरने में ज्यादा समय बर्बाद होता है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी बिल्कुल भी अपर्याप्त लगती है. उनका फोकस वीआईपी मूवमेंट पर ज्यादा रहता है. ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से ट्रैफिक मार्शल की तैनाती, सभी वर्गों के साथ मिडिल क्लास को बड़ी राहत दे सकती है.
- थानों से अटैच ‘सुरक्षा सुविधा केंद्र’ खोले जाएं
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के बीच के टकराव ने सबसे ज्यादा किसी व्यवस्था को बर्बाद किया है तो वो कानून व्यवस्था. इस दौर को दिल्ली पुलिस का सबसे बुरा फेज कह सकते हैं. इसके साथ ही ये बात भी साफ हो गई है कि केंद्र और राज्य के बीच खींचतान की स्थिति कभी भी बन सकती है. ऐसी स्थिति में दिल्ली की सरकार अगर अपनी तरफ से थानों से अटैच सुरक्षा सुविधा केंद्र खोलती है तो दिल्ली वालों के लिए काफी सहायक साबित होगा. दिल्ली पुलिस की अपनी समस्या है, अपनी व्यवस्था है. कुछ नहीं है तो राजनीतिक कारणों से इंकार नहीं कर सकते. जब भी आप किसी थाने में शिकायत लेकर जाते हैं तो पुलिस वालों की पहली कोशिश रहती है कि शिकायत दर्ज न हो, हो तो एफआईआर तो बिल्कुल भी न हो. बड़ी मुश्किल से शिकायत दर्ज भी हो जाए तो केस का अपडेट बड़ी मुश्किल से मिलता है. ऐसे में अगर थानों से सटे सुरक्षा सुविधा केंद्र में दिल्ली सरकार की टीम बैठे, जो हर शिकायत का डॉक्यूमेंटेशन करते चले, केस का प्रोपर फॉलोअप करते चले गए तो ये आम आदमी के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा. दिल्ली पुलिस पर भी परफॉर्म करने का दबाव बढ़ेगा.
(आगे और भी…)