दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (डीएसजीएमसी) की तरफ से मुफ्त में किडनी डायलिसिस की व्यवस्था की खबर बहुत ही अच्छा एहसास करवाने वाली है। विशेषकर जो लोग किडनी की गंभीर परेशानी से जूझ रहे है उनके लिए इससे बड़ी राहत की कोई दूसरी बात नहीं हो सकती। पिछले कुछ सालों में दिल्ली में किडनी फेल होने की समस्या दोगुनी गति से बढ़ गई है। किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगी खुद तो बीमार होता ही है, उसके साथ मंहगे डायलिसिस की वजह से उसका पूरा परिवार भी आर्थिक रूप से कमजोर होता चला जाता है। तकरीबन 4 से 5 हजार रुपए हर बार डायलिसिस के लगते हैं। सरकारी अस्पतालों में जल्दी नंबर नहीं मिलता, पेसेंट को और भी तमाम तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ता है। जबकि सब जानते है कि डायलिसिस के अभाव में रोगी की मौत तय है। बावजूद इसके कोई ठोस व्यवस्था सरकारें नहीं दे सकीं और न ही कभी भी ये देश और राज्य की सियासत में कभी गंभीर मुद्दा बन कर उभर सका।
हैरानी इस बात की भी होती है कि किसी भी अन्य सामाजिक या धार्मिक संस्था से जुड़े लोगों का ध्यान भी इस गंभीर परेशानी की तरफ नहीं गया। इस सूनेपन को भरने, बीमारी के साथ आर्थिक बोझ के तले दब कर मरते इंसान को बड़ी राहत देने का काम किया गया है डीएसजीएमएस की तरफ से। दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन के पास स्थित बाला साहब गुरुद्वारा परिसर में एक बहुत ही आधुनिक किडनी डायलिसिस अस्पताल की स्थापना की गई है। एक धार्मिक संस्था की तरफ से किए गए इस व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाए कम है।
संभवत: ये अपने किस्म का देश का पहला प्राइवेट अस्पताल होगा जहां कैश काउंटर नहीं होगा, केवल मरीज के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर होगा। मरीज को इलाज के नाम पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। साथ ही में गुरुद्वारे से मुफ्त लंगर की व्यवस्था तो है ही। मतलब सारा फोकस मरीज की बीमारी पर है, हैसियत पर नहीं।
100 बेड के इस बेहद आधुनिक अस्पताल में रोजाना 500 लोग डायलिसिस करवा सकते हैं। यहां 50 ऐसे बेड की व्यवस्था की गई है जो दरअसल हवाई जहाज के बिजनेस क्लास में मिलने वाली इलैक्ट्रीक चेयर है। ताकि डायलिसिस के दौरान मरीज को बोरियत न हो, आराम का अनुभव हो। एक मरीज के डायलिसिस में 3 से 4 घंटे का समय लगता है।
यहां किसी भी तरह के पहचान पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। मरीज को सिर्फ अपनी बीमारी से जुड़े कागज दिखाने होंगे। देश का कोई भी, किसी धर्म का नागरिक इन सुविधाओं का लाभ ले सकता है। सात मार्च को शुभारंभ होने के दो दिनों के बाद से ही इलाज की व्यवस्था शुरू हो जाएगी। अभी रजिस्ट्रेशन के लिए गुरुद्वारा पहुंचना होगा। एक हफ्ते के अंदर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। डीसीजीएमसी के वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा।
गुरुद्वारा परिसर में ही एमआरआई और सीटी स्कैन की व्यवस्था भी बहुत जल्द शुरू की जा रही है। जिसमें बहुत ही कम खर्चे में सुविधा का लाभ लिया जा सकेगा। गुरुद्वारा बंगला साहिब और अन्य गुरूद्वारों में बाला प्रीतम दवाखाना खोले गए हैं, जहां बाजार से 80 प्रतिशत सस्ती दवा मिलती है।
जिस तरह की लूट प्राइवेट अस्पतालों में खुले आम चल रही है। शासन-प्रशासन इनके सामने लाचार नजर आते हैं। लॉबी बड़ी और पावरफुल होने की वजह से इनसे टकराना किसी भी सरकार के लिए मुश्किल खड़े करना वाला होता है। इसलिए सभी इस समस्या को नजरअंदाज करते हैं। इसी का खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ता है। ऐसे में जिस तरह का प्रयास सिख समुदाय की तरफ से किया जा रहा है, उसका अनुसरण देश के तमाम धार्मिक संगठनों को करना चाहिए। मानव जब जीवन के सबसे कमजोर पलों को जी रहा है उस वक्त उसकी सहायता से बड़ा पुण्य का काम दूसरा हो ही नहीं सकता।