गणतंत्र दिवस के पावन मौके पर बदबू और बदमिजाजी से संक्रमित दिल्ली में सभी का स्वागत है!
समय निकाल कर इस लोकतंत्र के महापर्व पर दिल्ली दर्शन के लिए जरूर आइए। तभी देख पाएंगे और समझ पाएंगे कि संविधान स्वीकारने के सत्तर सालों के बाद मौजूदा गणतांत्रिक व्यवस्था में जो कुछ दिल्ली में आज आपको देखने को मिलेगा, उसी से आसानी से अंदाजा लगा सकेंगे की आगे देश की दशा और दिशा क्या होने जा रही है। बात राजधानी से शुरू होकर ही तो देश भर में फैलती है।
समझ पाएंगे जिस व्यवस्था के दम पर बेहद सामान्य से इंसान आज सत्ता शीर्ष पर पहुंचे, उन्होंने ही देश के गौरव, दिल्ली को लोकतंत्र के महापर्व के मौके पर बदबू से भर दिया। इसकी पावनता को नजरअंदाज किया। हर तरफ दिखेगा बस कूड़ा ही कूड़ा।
स्वच्छता की कमर, एक दो दिन में नहीं, लंबे समय से बकायदा इस पर काम कर के तोड़ी गई। भारतीय राजनीति के पिछले कुछ क्रांतिकारी सालों से गहरी साजिश के तहत सब कुछ किया जाता रहा। न्याय की उम्मीद लगाए बैठे सफाई कर्मचारी तब खुद को दगा महसूस करने लगे, जब बीस-बीस सालों से बिना नियमित हुए काम करते रहे कि चलो घर चलाने के लिए पैसे तो मिल जा रहे है। लेकिन ये क्या, अब तो उनके पैसों के साथ साथ जो पक्के कर्मचारी रहे, उनकी भी सैलरी का कुछ पता ठिकाना नहीं रहता। और तो और रिटायर हो गए तो नौबत भुखो मरने की आ जाती है। अब सब का धैर्य जवाब दे चुका है। कामधाम छोड़ धरने पर बैठे हैं।
नतीजतन जो हो रहा है, सब को पता था कि ऐसा ही होगा। हर जगह कूड़े का अंबार लगा है। सबसे दुखद पक्ष है कि दिल्ली में बैठे सभी राजनेताओं और अधिकारियों ने उस गणतंत्र के गौरव को नकारने का काम किया, जिसके दम पर वे सत्ता का सुख भोग रहे हैं। जिस सिस्टम ने उन्हें सत्ता शीर्ष पर बैठा दिया, उन्होंने उसका भी लिहाज नहीं किया।
इस तरह दिल्ली की स्वच्छता की ऐसी तैसी हुई पड़ी है। चलिए अब बात सुरक्षा की भी कर लेते हैं। सालों से ऐसा होता आया है, जब भी 15 अगस्त हो या 26 जनवरी का दिन आया, दिल्ली ने हाई एलर्ट का दंश झेला। नोएडा तक जाने में भी दिक्कत हर दिल्ली वाले ने सालों से झेली है। क्योंकि कई रास्ते सुरक्षा का हवाला देकर बंद कर दिए जाते रहे। लोग भी विशेषकर सुबह के समय घरों में ही रहना बेहतर समझते रहे। पता नहीं कहां किस कोने में धमाका हो जाए। कुल मिलाकर माहौल ऐसा ही रहा। इस बार भी कुछ वैसा ही हुआ, दिल्ली पुलिस ने हाई एलर्ट की घोषणा कर दी है। आतंकी कुछ खतरनाक कर सकते हैं, बता दिया है।
लेकिन इस बार ये सब कुछ बेमानी सा लगा। बड़ी संख्या में पंजाब से आए किसानों की जिद के आगे नतमस्तक, वही दिल्ली पुलिस ट्रैक्टर रैली की अनुमति देती नजर आई। बताया तो यही जा रहा है कि लाखों की संख्या में ट्रैक्रटरों पर सवार लोग दिल्ली में घुमेंगे। अब या तो आतंकियों का खौफ झूठा है, सारी दिक्कतें दिल्ली वालों के जिम्मे है, या फिर दिल्ली की सुरक्षा के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ हो रहा है। मतलब देश की राजधानी की सुरक्षा की ऐसी तैसी!