दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार से प्रदूषण के खिलाफ विशेष मुहिम छेड़ दी है। ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ नाम से शुरू किए इस अभियान का लक्ष्य दिल्ली को पूरी तरह से ग्रीन सिटी बनाना है। जाड़े के दिनों में सबसे गंभीर समस्या पड़ोसी राज्यों में किसानों के द्वारा जलाई जाने वाली पराली से उठने वाला धुंआ रहा है। इससे निपटने के लिए पूसा रिसर्च इंस्टिट्यूट के द्वारा एक विशेष किस्म का घोल तैयार करवाया गया है जिसे दिल्ली सरकार खुद खेतों में छिड़कवाने की तैयारी में है। इससे पराली खाद में तब्दील हो जाया करेगी। जिसका लाभ किसानों को भी मिलेगा और दिल्ली प्रदूषण मुक्त होगी। यह व्यवस्था किसानों को बिल्कुल मुफ्त दी जाएगी।
दिल्ली सरकार जल्द ही एक ‘ग्रीन ऐप’ जारी करेगी। जिसके जरिए कोई भी दिल्ली के किसी भी कोने में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली घटना का वीडियों बना कर अपलोड कर सकता है। सरकार फौरन उस समस्या के समाधान के लिए काम करेगी। दोषी को सजा दी जाएगी।
‘एंटी डस्ट कैंपेन’ भी शुरू करने जा रही है दिल्ली सरकार। जिसका उद्देश्य कंस्ट्रक्शन साइट्स पर मिट्टी उड़ने पर सख्त कार्रवाई करना है। धूल न उड़े इसकी समुचित व्यवस्था मकान बनवाने वाले को करनी होगी। अगर कोई इसे नजरअंदाज करता है तो उसका चालान किया जा सकता है। सभी एजेंसियों को अपनी सड़कों के गड्ढ़े भरने के भी आदेश दिये गये हैं।
दिल्ली में अब अगर कोई भी एजेंसी किसी कारणवश पेड़ काटती है तो उसे पौधे लगाने की जगह पेड़ों को उस जगह से निकाल कर दूसरी जगह लगाना होगा। सरकार इसके लिए ‘ट्री प्लानेंटेशन पॉलिसी’ ला रही है। जिसके तहत 80 प्रतिशत पेड़ों को उस जगह से निकाल कर दूसरी जगह लगाना अनिवार्य होगा। पौधे लगाने की प्रक्रिया में बदलाव लाया जा रहा है। क्योंकि पौधों को बड़े होने में लंबा समय लगता था। उनकी देखभाल अहम हो जाया करती थी। लेकिन अब पेड़ को ही नई जगह लगा देने से पर्यावरण की तुरंत रक्षा होगी।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार का सात स्तरीय प्लान लागू कर दिया गया है। इस पर नजर रखने के लिए चौबीसों घंटे और सातों दिन काम करने वाला एक वार रूम तैयार किया गया है। सीधे सीएम की निगरानी में यह टीम काम करेगी।