दिल्ली में बिजली बिल की सब्सिडी से बड़ी राहत
आकर्षित तो उनके बिजली बिल वाले पोस्ट ने किया..बड़ी ही साफगोई से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आभार व्यक्त किया गया है। उन्होंने ट्विटर पर अपने महीने के बिल की प्रति एटैच की और लिखा..
”मैं जब भी अपना बिजली का बिल देखता हूं तो मुझे गर्व होता है कि केजरीवाल जी को वोट दिया। इस कोरोना काल में बहुत मदद मिली है सब्सिडी से..थैंक यू केजरीवाल”
इसके बाद बकायदा दिल के तीन तीन फोटो लगाए। मतलब बिल्कुल दिल की गहराई से निकली बात वे लिख रहे हैं।
एक नजर में सामान्य सी लगी पोस्ट..लगा कि शायद कोई आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता होगा..बिजली बिल से मिलने वाली राहत से कुछ ज्यादा ही खुश हो गया होगा। लेकिन जब पोस्ट लिखने वाले शख्स अमित जायसवाल का परिचय जानने के लिए उनके एकाउंट पर गया तो ज्यादा ही हैरानी हुई। सबसे उपर लगी नरेंद्र मोदी की तस्वीर..और साथ ही राम मंदिर शिलान्यास पूजा की तस्वीर उनका सियासी रुझान साफ बता रही थी। जो उनके पोस्ट को और भी विशिष्ट बनाती है और उनकी भावनाओं की शुद्धता को सत्यापित करती है।
चलिए ये तो अमित जी का निजी मामला है..लेकिन बात बिजली बिल पर तो होनी ही चाहिए। कोरोना काल में बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी सच में दिल्ली वालों के लिए बड़ी राहत देने वाले साबित हुई है। सबसे अच्छी बात है कि ये सबके लिए समान रूप से फायदेमंद हैं..समाज का हर तबका इसका लाभ ले रहा है। कम खपत वालों और गरीबों के लिए तो यह मुफ्त है ही। लेकिन विशेषकर मध्यम वर्ग के लोगों का जो भी पैसा इस महामारी के महासंकट के दौर में बच रहा है वह उनकी मुश्किलें कम कर रहा है।
इस समय आर्थिक संकट सबके लिए बराबर है..लेकिन केंद्र सरकार हो या ज्यादातर राज्यों की सरकारें मध्यम वर्ग को मरहम लगाने में नाकाम साबित हुई हैं। सीधे तौर पर किसी भी तरह का राहत देने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। गरीबों के लिए खजाना खोल दे सरकारें..किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन समाज का जो तबका सबसे ताकतवर है अगर उसकी ताकत घटी है..तो उसकी भरपाई भी होनी चाहिए। थोड़ी ही सही कुछ तो ठोस काम इनकी आर्थिक सेहत के लिए भी होना ही चाहिए। नहीं भूलना चाहिए कि देश को तेज रफ्तार से दौड़ाने का माद्दा भी इसी तबके के पास है। कोरोना के खत्म होते ही यह खड़ा होगा और तेज गति से भागेगा भी..देश को भी आगे लेकर जाएगा। लेकिन इस मुसीबत की घड़ी में वो टकटकी लगाए सरकारों की तरफ देखता ही रह गया। निराशा खत्म होती दिखती भी नहीं। कमाता था तो सरकार टैक्स वसूलती थी। लेकिन जब एकाउंट में पैसे नहीं आए..या बिल्कुल घट गए तो सरकार सिर्फ रिटर्न फाइल करने की डेट बढ़ा रही है। आधार से लिंक्ड तो ये सारे सैलरी एकाउंट भी हैं। हजार करोड़ से कम की तो कहीं कोई बात ही नहीं हो रही…बड़ी बड़ी बातें..फिर सरकारों की सोच बड़ी क्यों नहीं बन पाती..बड़े देशों में तो ऐसा हुआ है..मध्यम वर्किंग क्लास को आर्थिक राहत सीधे तौर पर दी गई..अपना देश इतना छोटा भी नहीं..फिर यहां ऐसा क्यों नहीं..रह रह कर ये सोच मध्यम वर्ग को परेशान कर रही है।