वजीराबाद गांव में है ओम सिलेंडर टेस्टिंग सेंटर
पेट्रोल की तुलना में तकरीबन आधी कीमत वाली सीएनजी आपको गाड़ी चलाने की पूरी आजादी देती है। बस इस बेफिक्री को बनाए रखने के लिए सिलेंडर का रख रखाव बहुत जरुरी है। इसकी जरुरत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि घरेलू एलपीजी गैस के सिलेंडर की टेस्टिंग हर बार भरने से पहले की जाती है। सुरक्षा के लिहाज से गैस सिलेंड़र को चेक करना बहुत जरुरी है। समय के साथ सिलेंडर की बॉडी कमजोर होती जाती है। चूंकि इसमें ज्यादा दबाव से गैस भरी जाती है, जिससे इसके फटने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। इस बात का अंदाजा सिलेंडर जांच की पूरी प्रक्रिया के बारे में जान कर और बेहतर तरीके से लगाया जा सकता है।
सिलेंडर जांच प्रक्रिया
आपकी गाड़ी से सिलेंडर को निकालने के बाद उसे पूरी तरह से खाली किया जाता है। इसलिए ध्यान रहे सिंलेडर पूरी तरह खाली करके ही टेस्टिंग के लिए जाएं। खाली सिलेंडर में नाइट्रोजन गैस अन्दर डाली जाती है। इससे सारी विस्फोटक गैस बाहर आ जाती है। फिर डीऑयलिंग की जाती है, जिससे सिलेंडर के अंदर जमा हो गए तेल को बाहर निकाला जाता है। उसके बाद सर्फ और पानी से सिलेंडर की बाहर से सफाई की जाती है। इससे ये भी पता चल जाता है बॉडी कही से कटी या दबी तो नही है। सफाई के बाद सिलेंडर को वर्कशॉप ऐरिया में ले जाते हैं। जहां सबसे पहले कार्बन टेट्रा क्लोराइड डाल कर रोलर पर रखा जाता है। वायर ब्रश अंदर डालकर अंदर से सफाई की जाती है। इसके बाद सिलेंडर का वजन किया जाता है। ध्यान रहे कि पांच प्रतिशत से ज्यादा वजन नही घटना चाहिए। सिलेंडर की दीवार की मोटाई भी जांची जाती है, जो इसके निर्माता के निर्धारित मापदंड के अनुकूल ही होनी चाहिए। फिर बारी आती है हाइड्रा स्टेटिक स्ट्रेच टेस्ट की। इस प्रक्रिया के तहत सिलेंडर के अंदर पानी भरकर उसे एक पानी के जैकेट में डाला जाता है और अंदर के पानी के दबाव को बढ़ाया जाता है। गैस के प्रेशर से ज्यादा स्तर तक दबाव बढ़ा कर चेक किया जाता है। आमतौर पर 200 बार तक गैस का प्रेशर होता है जबकि पानी के प्रेशर को 334 बार तक ले जाया जाता है। ये इस बात की पुष्टी करता है कि सिलेंडर गैस का दबाव झेलने में सक्षम है। इस प्रोशेस के बाद सिलेंडर को ड्राई यूनिट में ले जाकर सुखा लेते हैं। फिर अल्ट्रा सोनिक फ्लो डिटेक्टर से सिलेंडर के यांत्रिकीय गुणों का पता चलता है, जैसे कही उसकी बॉडी के मेटल में निर्माण के वक्त अंदर कहीं हवा का बुलबुला वगैरह तो नही रह गया है। इस जांच के बाद सिलेंडर को पेन्ट यूनिट में ले जाया जाता है। जहां गरदन को लाल व बॉडी को सफेद रंग से रंगा जाता है। ये सीएनजी गैस सिलेंडर की खास किस्म की कलर कोडिंग है। जिसे देख कर समझा जा सकता है कि इसमें सीएनजी गैस है। इस तरह जांच की सारी प्रक्रियाओं में सफल होने के बाद सर्टीफिकेट जारी किया जाता है। जिसके आधार पर सिलेंडर को फिर से गाड़ी में फिट करके गाड़ी में अगली जांच की समय सीमा वाली प्लेट पंच कर दी जाती है। इस प्लेट पर जांच की तारीख देख कर ही सीएनजी गैस स्टेशन पर गैस मिलती है। बिना जांच के गैस देना गैर कानूनी है। लोग सिर्फ प्लेट बदलवा कर कानून को नही खुद को धोखा दे रहे हैं। ओम सिलेंडर टेस्टिंग कंपनी के इंजीनियर रजनीश कुमार सिलेंडर जांच की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहते है कि एक बार टेस्टिंग करवाने के बाद आप पूरे तीन साल के लिए आश्वस्त हो सकते हैं। ये आपकी सुरक्षा के लिए बहुत जरुरी है। महज बारह सौ रुपए (कार के सिलेंडर की टेस्टिंग की कीमत, ऑटो के लिए हजार रुपए) टेस्टिंग के लिए खर्च करने होते है। इस मामले में लापरवाही खतरनाक हो सकती है। ओम सिलेंडर टेस्टिंग कंपनी वजीराबाद गांव में बॉयोडाएवर्सिटी पार्क की तरफ है, संगम विहार से जगतपूर जाने वाली सड़क पर। एक और सिलेंडर टेस्टिंग सेंटर बुराड़ी में है। आमतौर पर शनिवार व सोमवार को यहां ज्यादा भीड़ होती है। बाकि दिनों में केवल डेढ़ से दो घंटे में टेस्टिंग हो जाती है। हां गाड़ी की आरसी साथ ले जाना न भूलें।
अपनी गाड़ी को चलाने के लिए यदि आप सीएनजी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो याद रखें हर तीन साल के बाद सिलेंडर की टेस्टिंग जरुरी है।