पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की सियासत के केंद्र में झुग्गी झोपड़ी का मुद्दा बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रेलवे की पटरियों के किनारे से झुग्गी झोपड़ी हटाने का फरमान आया नहीं कि दिल्ली की सियासत गरमा गई। दिल्ली की सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी की सरकार को कुछ नहीं सूझा तो इस मामले के लिए बीजेपी की केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा कर पानी पी पी कर कोसने लगी। कोर्ट के निर्देश पर लगाए जा रहे नोटिस को लेकर भी आप पार्टी काफी मुखर दिखी। संख्या भी तो कम नहीं है, 48 हजार झुग्गियों को हटाने का आदेश आया है। समझा जा सकता है कि वोट के लिहाज से ये किसी भी सियासी पार्टी के लिए कितनी बड़ी सिरदर्दी बन सकती है। खास कर जो पार्टी सत्ता में है उस पर खतरा सबसे ज्यादा है।
बीजेपी ने इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने का मन बना लिया है। एक तरफ तो वो केजरीवाल सरकार को इस मामले पर निष्क्रिय होने का आरोप लगा रही है। उसका कहना है कि ये मामले काफी पहले से कोर्ट में चल रहा है। हाईकोर्टने भी दिल्ली एनसीआर में पड़ने वाले करीब 70 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के किनारे बसी झुग्गियों को हटाने का आदेश साल 2018 में ही दिया था। सुरक्षा और पर्यावरण के लिहाज से ऐसा करना अतिआवश्यक बताया गया था। बावजूद इसके दिल्ली सरकार ने इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जबकि सरकार की तरफ से करीब 50 हजार मकान तैयार हैं जिन्हें शहरी गरीबों के लिए ही बनाया गया है। गंभीरता से कभी इस दिशा में काम किया ही नहीं गया। अब जब कोर्ट की तरफ से आदेश आ गया है तो आम आदमी पार्टी सियासत कर रही है। बीजेपी को दोषी बना रही है।
बीजेपी की तरफ से केजरीवाल सरकार को खुली चुनौती दी गई है कि अगर सरकार रेलवे ट्रैक पर बसे लोगों को बसाने में बहाने बनाती रही तो वे जबरन उन्हें सरकार की तरफ से तैयार मकानों में शिफ्ट करवा देंगे। इनमें केंद्र सरकार का भी पैसा लगा है।
वहीं आम आदमी पार्टी इसे बीजेपी की साजिश करार दे रही है। दिल्ली सरकार ने रेलवे को पत्र लिखा है। झुग्गीयां तोड़ने के नोटिस को गैरकानूनी ठहराया है। केंद्र की सरकार इन गरीबों को पहले पक्का मकान दे। पार्टी की तरफ से साफ किया गया है कि बिना मकान दिए एक भी झुग्गी नहीं तोड़ने दिया जाएगा। अगर बीजेपी घर नहीं देती है तो दिल्ली सरकार सभी को मकान देगी।
इस झगड़े में कांग्रेस कहां चुप रहने वाली थी। उसने भी जम कर धरना प्रदर्शन किया इन रेलवे ट्रैक से हटाए जाने वाले गरीब लोगों को दिल्ली सरकार के द्वारा बनाए गए मकानों में शिफ्ट करने की मांग उठाई। दरअसल शहरी गरीबों के लिए आवास की कांग्रेस की ही देन है। जिस पर साल 2011 से ही काम चल रहा था। इसी योजना के तहत दिल्ली में मकान बनवाए गए थे। जो अभी तक खाली पड़े हैं।
अभी यह रेलवे ट्रैक के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ी का मसला चल ही रहा था कि दिल्ली के यमुना बैंक मेट्रो के पास बसी झुग्गी झोपड़ियों को वन विभाग की तरफ से उजाड़ दिया गया। करीब 500 झुग्गियों में रहने वाले लोग बेघर हो गए। बिना किसी नोटिस के इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। लोग बता रहे हैं कि वे यहां 30-40 सालों से रह रहे थे। वन विभाग का कहना है कि डीडीए ने यह जमीन वन विभाग को दे दी है। यहां बड़े पैमाने पर वृक्षारोपन करना है।
मतलब साफ है कि इस मसले पर दिल्ली सरकार की चुनौती अभी और बढ़ने वाली है। बीजेपी हो या कांग्रेस अभी कोई भी आम आदमी पार्टी की सरकार को बख्शने के मूड में नहीं दिख रही है।