कुंदन की मौत पर सन्नाटा क्यों..?

देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर चलना है तो तैरना आना ही चाहिए.

पिथौरागढ़ के कुंदन सिंह को नहीं पता था. नतीजा सब जानते हैं. बारिश के पानी में फंस कर मौत हो गई उसकी. गरीब है तो क्या हुआ. मोबाइल तो होना ही चाहिए. क्योंकि क्या पता कहीं भी..कभी भी जान पर बन आए तो किसी अपने को बचाव के लिए बुला तो सके. क्योंकि दिल वालों के इस शहर को पल में पराया कर देने का रोग जो लगा है. लोग मोबाइल निकाल कर दर्द में डूबे उस आदमी की पानी में डूबते हुए तस्वीर तो बना सकते हैं. लेकिन सौ नंबर पर जरा से जोर से बोल कर उसकी जान नहीं बचा सकते..और तो और..क्या पता सौ नंबर पर फोन हुआ हो लेकिन रविवार की अलसाई सुबह सिस्टम चार्ज होने में टाइम लग गया हो..

सब ने समय लिया..वीडियो बनाने वालों ने..मदद पहुंचाने वाले सिस्टम ने..लेकिन समय समाप्त हो चला था कुंदन का..पानी बढ़ता गया..पहले गाड़ी डूबी..फिर वो डूबता गया..सांसों ने साथ छोड़ दिया..सिस्टम ने इस महानगर में..देश की राजधानी में बहुत ही अमानवीय तरीके से दिन दहाड़े एक हत्या की..लेकिन सब मौन हैं…संडे का दिन है मीडिया हो या मंत्री-संत्री मंडे काम बहुत है..शाम होते होते जाम क्या था..सड़क के साइड का नाला या सीवर..जिम्मेदारी किसकी थी..पड़ताल खत्म हो गई..लेकिन शुरू हो चुकी है चुनौतियां उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कुंदन के परिवार की..दो बेटियां हैं..बड़ी बेटी की नवंबर में शादी है..सपने में भी नहीं सोचा होगा परिवार ने कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में गाड़ी चला रहे पिता की सड़क पर जमे बारिश के पानी में डूब कर मौत होगी..वो भी उस जगह जहां से महज चंद मीटर की दूरी पर बीजेपी का हेडक्वाटर है..एमसीडी का मुख्यालय है..नई दिल्ली रेलवे स्टेशन है..और तो और बस सामने ही देश की शान और पहचान कनॉट प्लेस है..ऐतिहासिक मिंटो रोड क्या सब की साख पर दाग है ये घटना..लेकिन कोई माने तो सही..मौत नहीं ये हत्या है..कोई नहीं मान रहा..लग भी नहीं रहा कि कोई मानेगा..क्योंकि इन दिनों क्रांतियां जहां से हवा पकड़ती हैं उन सब जगहों पर सन्नाटा पसरा है..ट्विटर पर कोई हैशटैग नहीं है..एक गुमनाम भारतीय जिसका चेहरा तक नहीं दिखा सका देश का मीडिया..उस अननोन फेस के लिए समझिए..फेसबुक कैसे सक्रीय होगा..ऑटो यूनियन के एक मुखिया से बात की..उन्होंने कहा कि छोटा हाथी चलाने वालों का यूनियन अलग है..मैने बहुत समझाया कि ये तो किसी के साथ हो सकता है..ऑटो वाला..गाड़ी वाला कोई भी कहीं भी फंस सकता है..शर्त एक ही है कि दिल्ली की सड़कों पर चलने वाला यदि तैरना नहीं जानता तो वो बेमौत मारा जा सकता है..बस बारी का इंतजार कीजिए..।

Youth4UK नाम से फेसबुक पेज पर उतराखंड राज्य के लोग काफी जोरदार तरीके से कुंदन के लिए न्याय की मांग करते रहे। बताया जा रहा है कि 10 लाख रुपए का चेक परिवार को दिया गया है।

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