देश की राजनीति में आम आदमी पार्टी का उदय अद्भुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय ही कहा जाता है। जिस तरह से एक आंदोलन से शुरू हुई पार्टी दिल्ली में देश की दो शीर्ष सियासी पार्टियों को पछाड़ कर अपना कब्जा जमाने में सफल रही है, वो भी एक बार नहीं तीन बार, वो भी इतने अधिक मार्जिन से, सबको हैरान करने वाला रहा है। और मौजूदा हालात साफ दिखा रहे हैं आने वाले समय में उन्हें उखारने का माद्दा किसी भी सियासी दल में अभी तो नहीं है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है लोगों की समस्याओं का सीधा-सपाट समाधान निकालने की पहल। आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार की यह सबसे बड़ी खासियत रही है कि वो जनता की समस्याओं का सीधा समाधान देती है। फिर बेशक उससे सरकार को नुकसान ही क्यों न हो। विपक्ष उसे मुद्दा बनाने में उलझा रहता है, लेकिन आम दिल्ली वालों को मिलने वाला फायदा सारे तर्कों को हल्का कर देता है। चाहे बिजली के बिल हों या फिर पानी के बिल, दोनों ही आम दिल्ली वालों के लिए बड़ी सिरदर्द बने हुए थे। आम आदमी पार्टी ने जनता की दुखती रग को पकड़ा और बड़ा सियासी दांव खेल दिया। नतीजा सबके सामने है। विपक्ष इसकी काट ही नहीं तलाश पा रहा।
इसी तरह प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को नियंत्रित करने में कांग्रेस और बीजेपी नाकाम दिखते रहे। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इन पर नकेल साधने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली। लोगों के फीस में ली गई अतिरिक्त राशि तक वापस करवाए। ऐसा देश ने पहली बार होते देखा गया।
मोहल्ला क्लिनिक ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा बदलाव बेशक नहीं किया हो, लेकिन आम दिल्ली वालों के अंदर भरोसा जरूर जगा दिया है कि कोई भी छोटी-मोटी बीमारी में वे अगर न चाहें तो किसी महंगें इलाज की जगह बिना पैसा खर्च किए, बड़ी आसानी से पास के मोहल्ला क्लिनिक में तो जा ही सकते हैं। इससे दिल्ली में बेतहाशा खुल रहे निजी क्लिनिकों पर भी रोक लग गई। लोग पहले ऑप्शन की जगह इसे आजमाने लगे हैं। मोहल्ला क्लिनिक सरकार से आम लोगों को जोड़ने की दिशा में बड़ी पहल साबित हुआ है।
ऐसा ही सरकारी स्कूलों के बारे में भी कहा जा सकता है। तमाम तरह की बेहतरीन सुविधाएं दिल्ली की सरकारी स्कूलों तक पहुंचाने की कोशिश दिल्ली सरकार में आम लोगों की आस्था को बढ़ाने का काम कर रही है। उन्हें भी लगने लगा है कि उनके बच्चे की पहुंच क्वालिटी एजुकेशन तक संभव है। महंगी कोडिंग की पढ़ाई दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शुरू करवा कर दिल्ली सरकार ने अपनी नेक मंशा तो साबित कर ही दी है। बच्चों के अच्छे रिजल्ट्स पर सरकार का सेलिब्रेशन लोगों में परिवार भाव जगा जाता है।
इस तरह के कामों के आधार पर कहना गलत नहीं होगा कि आम आदमी पार्टी की सरकार देश की राजनीति का रूख बदलने की दिशा में बड़ा योगदान दे रही है। पिछले कुछ सालों में राजनीति के नाम पर देश की आबादी को इतने खेमों में बांट दिया गया है कि समझना मुश्किल हो चला है कि किसकी जरूरत किस बात को लेकर ज्यादा है। सही मायनों में लाभ का आकलन तो बहुत बाद की बात है। लेकिन आप पार्टी की दिल्ली सरकार के द्वारा उठाए कदम सामान्य मध्यम वर्ग के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि मध्यम वर्ग के हितों पर काम करने वाली एकमात्र पार्टी के रूप में उभर रही है आम आदमी पार्टी। देश का सबसे मुखर और सशक्त तबका देश की सियासत में सबसे ज्यादा उपेक्षित रहा है।
उदाहरण के तौर पर दिल्ली में कोरोना के आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा को लिया जा सकता है। आज हर किसी की जरूरत बना हुआ है यह टेस्ट। दिल्ली सरकार ने ढाई यह टेस्ट मुफ्त किया हुआ है। दिल्ली वालों के पास ऑप्शन है अगर पैसे खर्च सकते हैं तो निजी अस्पताल में ढाई हजार रुपए देकर करवा लें, यदि दिक्कत है तो दिल्ली सरकार की सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं, जो कि हर जगह बहुत ही आसानी से उपलब्ध है। लेकिन वहीं केंद्र सरकार मान कर चल रही है कि आपकी नौकरी चली गई है या धंधा मंदा चल रहा है तो क्या आप पांच सौ रुपए टेस्ट के लिए खर्च कर ही सकते हैं।
आम लोगों या कहें कि सामान्य मध्यम वर्ग तक सरकारी सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का दांव अब अन्य सियासी पार्टियों को भी समझ आने लगा है। यही वजह है कि देश के अन्य राज्यों की सरकारें भी आम आदमी पार्टी की सियासी और प्रशासनिक मॉडल पर काम करने को बाध्य हो रही हैं। दिल्ली सरकार का मॉडल देश के कई राज्यों में लागू किया जा रहा है। कर्नाटक और महाराष्ट्र की सरकारें अपने यहां दिल्ली के सरकारी स्कूलों का मॉडल लागू कर रही हैं। केरल की सरकार आम आदमी पार्टी के टैक्स रिफॉर्म के मॉडल को लागू करने की तैयारी में है। झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलांगना और मध्यप्रदेश में दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य मॉडल लागू करने जा रही है। मोहल्ला क्लिनिक खोलने का प्लान है। यूएन ने भी मोहल्ला क्लिनिक को सराहा। विदेशों में भी काफी चर्चित रहा दिल्ली का मोहल्ला क्लिनिक। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने हाल ही में निकाय चुनावों में दिल्ली की तर्ज पर लोगों को 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने का दांव खेला है। बंगाल की ममता सरकार ने दिल्ली सरकार की तर्ज पर सरकारी सेवाओं की डोर स्टेप डिलवरी शुरू कर दी है।
समय रहते देश की सियासी पार्टियों को इस बदलाव को समझना होगा। विगत वर्षों में जो मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ है इसे नजरअंदाज न करे कोई। बजाए खेमेबाजी के सरकारी सेवाओं में बेहतरी की दिशा में काम करना होगा। जिसका लाभ हर आम नागरिक उठा सके। किसी खास वर्ग को लाभ मिल रहा है इसे आप सुनिए, समझिए और समझौता कीजिए। यह सोच लंबी नहीं चलने वाले। कम से कम मूलभूत जरूरतें तो सब की समान रूप से पूरी होनी ही चाहिए। सरकारी स्कूलों की हालत ठीक हो, अस्पतालों में अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो, रोजगार के अवसर हो, बिजली और पानी के खर्चे सिरदर्द न बने तभी तो देश के आम आदमी की आस्था सरकार में बढ़ेगी।