भारतीय राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का परचम देश मे ही नहीं विदेशों में भी लहरा रहा है। वहां भी लोग बड़ी ही मुखरता से अपने राष्ट्रीय और सांस्कृतिक गौरव की लड़ाई लड़ रहे हैं। और अब उसका प्रभाव भी दिखने लगा है। तभी तो अमेरिका के सिप्सन कॉमिक सीरीज के इंडियन किरदार अपु के लिए उसके पीछे के स्टार कलाकार को हर भारतवासी से माफी मांगनी पड़ी। दरअसल हैंक अजारिया अपु के किरदार की आवाज रहे थे। 1989 में ये सीरीज शुरू हुई तब से हैंक इससे जुड़े रहे। अपु का किरदार एक ऐसे भारतीय का है जो एक डिपार्टमेंटल स्टोर चलाता है। उसके बोलने का अंदाज और व्यवहार कुछ इस तरह से दिखाया गया, जो हर भारतीय को अपमानजनक लगता रहा। साल 2007 से वहां रह रहे भारतीय लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। लेकिन उसका कोई खास असर नहीं होता दिखा। लेकिन साल 2018 में शो के प्रोड्युसर को अमेरिका में रह रहे भारतीय लोगों के बढ़ते विरोध को देखते हुए इस अपु कैरेक्टर को शो से हटाना पड़ा।
ऐसा ही कुछ फरवरी और मार्च महीने में ब्रिटेन में देखने को मिला। दुनिया की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष पहली बार कोई भारतीय लड़की, रश्मि सामंत बनी तो ये बात शायद कम्यूनिस्ट सोच वाली लॉबी को पसंद नहीं आई। उसकी सबसे बड़ी वजह रश्मि का हिन्दुत्ववादी सोच का होना रहा। उन्होंने सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम चलाई। रश्मि के पांच साल पुराने सोशल मीडिया पोस्ट को आधार बना कर उसे नस्लवादी साबित करने में जुट गए। जबकि रश्मि सफाई दे रही थी कि ये सारे पोस्ट उसने तब लिखे थे जब वो टीन एज में थीं, संबंधित मुद्दों की गहरी समझ उन्हें तब नहीं थी। बावजूद इसके लिए वो माफी भी मांग रही थी। लेकिन सोशल मीडिया पर उसे ट्रोल करने वाले कहां मानने वाले थे। आखिरकार रश्मि ने अपने हिन्दू संस्कारों की बात रखते हुए ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनके संस्कार किसी को तकलीफ पहुंचाने की इजाजत नहीं देते। इससे बाद विरोधी और तिलमिला गए। उनमें से एक अभिजीत सरकार नाम के प्रोफसर ने रश्मि के पिता के साथ की उस तस्वीर को साझा कर दिया जिसमें वो राम मंदिर के निर्माण की खुशी को जाहिर करते दिख रही हैं। उसमें राम की तस्वीर के साथ जय श्री राम लिखा है। अभिजीत ने इसे आधार बनाते हुए लिखा कि वो मस्जिद तोड़ कर उस जगह पर मंदिर बनाने के फैसले को सेलिब्रेट कर रही है। ये उसके मुस्लिम विरोधी सोच को दिखाता है। इसके साथ ही अभिजीत ने लिख दिया कि ज़ी न्यूज को बता दो कि ऑक्सफोर्ड के छात्र अभी सनातनी हिन्दू प्रेसिडेंट के लिए तैयार नहीं हैं।
अभिजीत सरकार के इस पोस्ट ने आग में घी का काम किया। न सिर्फ ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय के छात्रों और अन्य लोगों ने बल्कि अमेरिका के कॉलेजों में भी इसका जमकर विरोध शुरू हो गया। सभी लोगों को लगने लगा कि रश्मि को जानबूझ कर निशाना बनाया गया। उसे परेशान किया गया। जिससे मजबूर होकर उसने इस्तीफा दे दिया। सोशल मीडिया पर डिसमिस अभिजीत सरकार हैशटैग जबरदस्त तरीके से ट्रेंड करने लगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अभिजीत को हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी। भारत की संसद में भी ये मुद्दा उठा। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को कहना पड़ा कि वो इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए हैं, आवश्यकता पड़ने पर वे इस संबंध में ब्रिटेन की सरकार से बात करेंगे।
इस बढ़ते विरोध को देखते हुए ऑक्सफोर्ड की तरफ से पहले तो सफाई दी गई कि उनके यहां किसी तरह का भेदभाव नहीं हैं, फिर रश्मि के मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया। साथ ब्रिटेन की पुलिस भी सारे मामले की जांच कर रही है कि कहीं सही में तो रश्मि के खिलाफ एंटी हिन्दू कमेंट का इस्तेमाल कर उसे परेशान नहीं किया गया है।
भारतीय राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की विदेशों में बुलंद होती आवाज के पीछे वही दो चेहरे वहां भी हैं, जो देश में इस सांस्कृतिक गौरव की लड़ाई को ताकत देते रहे हैं और विदेशों में रह रहे भारतीय लोगों की ताकत बन रहे हैं। पहला चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिनके साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही लोगों ने भारतीय राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व जैसे विषयों पर खुल कर बोलना शुरू कर दिया। देश और धर्म की पहचान से जुड़े मुद्दों पर अपनी सोच साझा करने लगे। पहली बार लगा कि भारत की बौद्धिकता पर से कम्यूनिस्ट पकड़ कमजोर पड़ने लगी है। जाहिर सी बात है पीएम मोदी जिस तरह से पुरानी सियासी परंपरा को तोड़ते हुए अपनी संस्कृति को जीते हैं, उसका संदेश काफी बड़ा और बुलंदी से भरा रहता है।
और दूसरा चेहरा हैं ज़ी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी, जो तथ्यों के आधार पर अपने तर्क तैयार करते हैं और सम्पुर्ण सामर्थ्य के साथ अपनी बात को आगे बढ़ाते हैं। ज़ी मीडिया की पहुंच और पकड़ के साथ-साथ सोशल मीडिया पर सुधीर चौधरी की लोकप्रियता उसकी धमक कई गुना बढ़ा देती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुधीर चौधरी जैसे लोगों की स्पष्टता और बिना किसी छद्म आवरण वाली अभिव्यक्ति की वजह से ही आज की तारीख में भारतीय राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व अब देश ही नहीं दुनिया में अपनी बुलंद पहचान गढ़ रहा है।