दिल्ली के अवैध बाजार बढ़ा रहे कोरोना
दिल्ली में कोरोना के मामले 10 हजार के पार जा चुके हैं। और इसी के साथ केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार की तकरार बढ़ गई है। ये होता रहा है और फिर हो रहा है। जब भी दिल्ली पर संकट गहराता है, दिल्ली सरकार ‘राग केंद्र’ शुरू कर देती है। जैसे ही हालात ठीक होते नहीं कि दिल्ली सरकार की नए विज्ञापनों की श्रृंखला बिना वक्त गंवाए जारी कर दी जाती है। जिसमें सीधे तौर पर होता है बस दिल्ली सरकार के सामर्थ्य का बखान।
दिल्ली पर केन्द्र और दिल्ली सरकार की सत्ता साझेदारी दिल्ली की जनता के लिए बड़ी सिरदर्द बन जाती है। दोनों के बीच अच्छे परिणाम का श्रेय लेने की होड़ और सियासी खींचतान ही जनता के लिए काल बन कर सामने आ जाती है। ऐसा कई बार दिल्ली वाले पिछले एक साल के कोराना काल में अनुभव करते रहे हैं। उदाहरण के रूप में किसान आंदोलन को ले सकते हैं। पिछले साल जब कोरोना संक्रमण चरम पर था तो पंजाब के किसान दिल्ली में घुसने को आमदा थे। चूंकि किसान केंद्र की नई कृषि का विरोध कर रहे हैं तो आप पार्टी को, विशेषकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसमें बड़ा स्कोप दिख रहा है। यही वजह है कि आजतक एक बार भी किसान आंदोलन और महामारी के खतरे के संबंध में मुख्यमंत्री जी का एक भी बयान सामने नहीं आया है।
कोरोना के मामले में सच्चाई यही है कि जब भी हालात बिगड़े केंद्र ने ही संभाला है। बावजूद इसके शुरुआत हमेशा आरोप प्रत्यारोप से ही होती है। अगर दोनों ही सरकारों के बीच महामारी के मौके पर तालमेल हमेशा ही बना रहे तो हालात नियंत्रण से बाहर जाए ही ना।
इस बार कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं इसकी सबसे बड़ी वजह तो लोगों की लापरवाही ही है। साफतौर पर दिखता है कि लोगों ने कोरोना को गंभीरता से लेना छोड़ सा दिया है। भीड़भाड़ में जाने से लोग बिल्कुल भी परहेज नहीं करते। अनावश्यक घर से बाहर निकलना भी कम होता नहीं दिखता। मास्क को लेकर तो बहुत ही ढीला रवैया देखने को मिलता है। ज्यादातर लोगों के मास्क नाक के नीचे ही दिखेंगे। हाथों को सैनिटाइज करने की आदत भी लोग भूलते जा रहे हैं।
लेकिन इसके साथ ही दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली पुलिस के बीच तालमेल का अभाव और अपने फायदे को प्राथमिकता देने की प्रवृति भी तेजी से फैलते संक्रमण की बड़ी वजह लगती है। जब से लॉकडाउन हटा है दिल्ली की सड़कों पर अवैध बाजारों का कब्जा तेजी से बढ़ा है। जगह जगह पर लोग ठेला लगाए कुछ न कुछ बेचते हुए मिल जाएंगे। जिसमें शाम के वक्त अच्छी खासी भीड़ जुट जाती है। कई इलाकों मे तो इन अवैध दूकानों ने अच्छे खासे बाजार का रूप ले लिया है।
दिल्ली एनसीआर में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों का हाल तो बहुत ही बुरा होते जा रहा है। बहुत ही तेजी से इसमें दुकानों की संख्या बढ़ रही है। आम तौर पर मुहल्ले के बीच में छोटे से स्तर पर लगने वाले इस तरह के हाट का बिगड़ता स्वरूप इलाके के लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली सरकार के साथ साथ एमसीडी और दिल्ली पुलिस जिम्मेदार दिखती है। दुकानदारों से होने वाली वसूली सिस्टम को शिथिल बना देती है। जिसकी वजह से कोई भी इसे गंभीरता से नहीं लेता। सब के सब टालते नजर आते हैं। जबकि साफतौर पर दिखता है कि इस तरह की बेतरतीब भीड़ कोरोना ब्लास्ट की बड़ी वजह बन सकती है। लेकिन किसी का सियासी लाभ तो किसी का आर्थिक लाभ, जनसरोकार में बाधा बनता दिखता है।
बात-बात पर केंद्र को दोषी बताने की इस कड़ी में केजरीवाल सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन को हर उम्र के लोगों के लिए फ्री कर दे तो हालात एकदम से सुधर जाएंगे। जबकि ऐसी कई रिपोर्ट्स आ रही हैं जिससे पता चलता है वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है। बावजूद इसके अपनी व्यवस्था को दुरुस्त करने, लोगों को जागरूक करने, केन्द्र सरकार के साथ साझेदारी बढ़ाने की बजाए टकराव शुरू कर लोगों को गुमराह करने की दिल्ली सरकार की रणनीति निंदनीय है।