अचानक आम आदमी पार्टी के एक नेता का विरोध करने लगे किसान। धरना स्थल पर पार्टी की तरफ से केला बांटना उन्हें नागवार गुजरा। उन्होंने उसे गुस्से में डांटते हुए आंदोलन वाली जगह से निकल जाने को कहा। बहुत बुरी तरह से आप पार्टी के नेता को धक्के मारते हुए, दुत्कारते हुए भगाया।
वायरल वीडियों मे आप नेता से किसान पूछते हैं कि वो आम आदमी पार्टी का नाम लेकर केले क्यों बांट रहा है? क्या दिल्ली सरकार ने एक-एक केला बांटने को दिया है? किसानों को ये अपमानजनक लगा।
इसी तरह एक दूसरे वीडियों में आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे और आतिशी भी धरना स्थल से भगाते हुए देखे जा सकते हैं। साथ ही मौजूद किसान आम आदमी पार्टी मुर्दाबाद के नारे लगाते सुने जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि किसानों का समर्थन करने सिंधू बॉर्डर पहुंचे आम आदमी पार्टी के दोनों सीनियर नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि जब से पंजाब से किसान दिल्ली सीमा पर पहुंचे, तब से दिल्ली सरकार बेहद सक्रीय नजर आई। बकायदा निरंकारी ग्राउंड में उनके ठहरने के लिए बिजली पानी की पूरी व्यवस्था करवाई। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी रखा।
लेकिन लगता नहीं कि ये सब काम आया। किसानों के मामले में आप पार्टी के कथनी और करनी में फर्क को समझा जाना लगा है। एक तरफ तो दिल्ली सरकार मुखरता के साथ किसानों का समर्थन कर रही है। तीनों कृषि कानून खत्म करने की मांग कर रही है। लेकिन इसी बीच दिल्ली सरकार ने इनमें से एक कानून दिल्ली में पास कर दिया। जिसके तहत मंडी से बाहर कृषि उत्पाद बेचने की छूट दे दी गई। समझाया तो यही गया कि काफी दिनों से इसकी मांग दिल्ली के किसान कर रहे थे। फलों को लेकर ये छूट पहले से मिली हुई थी। हालांकि ये काम दिल्ली सरकार ने किसान आंदोलन के बिल्कुल शुरू के दिनों में ये कहते हुए कर दिया था कि केंद्र के कानून पास करना उनकी बाध्यता है। लेकिन इसे कुछ दिनों तक और टाला जा सकता था, या फिर तात्कालिक रूप से ही सही पंजाब सरकार की तरह रोकने का कोई प्रावधान किया जा सकता था।
इसी तरह से दिल्ली के स्थानीय किसान भी काफी मुखरता से दिल्ली सरकार का विरोध करते दिखे। बाकायदा दिल्ली बीजेपी के किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में दिल्ली के किसानों ने शिरकत की। दिल्ली के किसान लंबे समय से दिल्ली सरकार की किसान विरोधी नीतियों की खिलाफत करते रहे हैं। एमएसपी का लाभ यहां उनको नहीं मिलता, अन्य राज्यों की तरह बिजली, पानी व कृषि उपकरण से संबंधी तमाम तरह के खेती किसानी से जुड़े लाभ भी नहीं मिलते।
जिस तरह का विरोध किसानों के आंदोलन में अब आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का होने लगा है, लगता है कि किसान इस बात को समझने लगे हैं कि दिल्ली सरकार की कथनी और करनी में फर्क है। किसान हित को लेकर उनकी सोच में स्पष्टता बिल्कुल नहीं है। आंदोलन में बड़ी संख्या में पंजाब से आए किसानों के आवाभगत के पीछे आप की पंजाब में सियासी लाभ साधने की मंशा भी किसानों को समझ आने लगी है। शायद इन्हीं सब बातों ने किसानों के मन में इतनी करवाहट भर दी है और अब में इतनी बुरी तरह आप पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को धरना स्थल से भगा रहे हैं।
कहना गलत नहीं होगा कि विशेषकर किसानों के मसले पर आम आदमी पार्टी की अपरिपक्वता अब सामने आ गई है। जिस पर वक्त रहते पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को मंथन करने की जरूरत है।